दुनिया: पाकिस्तान के सबसे बड़े “ग़ुलाम” डाकू की रोमांचक कहानी, शिकंजे में करने के लिए पाक सेना उतारी गई थी
यूँ तो पाकिस्तान में आतंक मचाने वालों की कोई कमी नहीं है पर एक बार इसका शिकार खुद पाकिस्तान हुआ था।पाकिस्तान की नाक में दम करने वाला छोटू नाम का एक बड़ा डाकू था। छोटू गैंग स्थानीय बदमाशों का एक गिरोह है जो 2002 में यह लूटपाट का काम करता था। इसका सरगना गुलाम रसूल उर्फ छोटू था। धीरे-धीरे वह इतना बड़ा हो गया कि उसे काबू करने के लिए पाकिस्तान की सेना को आगे आना पड़ा।
तीन हजार जवानों ने 21 दिनों तक ऑपरेशन चलाया। तब कहीं जाकर उसे पकड़ा जा सका। छोटू गैंग के पास अत्याधुनिक हथियार थे जो हेलीकॉप्टरों के साथ टैंकों को भी उड़ाने में सक्षम थे। छोटू डाकू पाकिस्तान के धनी पंजाब प्रांत में सक्रिय रहा था। वो यही से अपना गिरोह चलाता था, यहां राजनपुर और रहीमयार खान के बीच 40 किमी के दायरे में एक टापू बना है। छोटू का ठिकाना यही टापू था, जहां पुलिस जाने से डरती थी।
छोटू की कहानी बिलकुल फिल्मी है। 1998 में गुमाल रसूल उर्फ छोटू के भाई को पुलिस ने चोरी के आरोप में पकड़ा तो सारा परिवार अंडरग्राउंड हो गया।इस समय छोटू की उम्र मात्र 13 वर्ष की थी। इस दौरान एक ढाबे पर छोटू नौकरी करने लगा। गांव के लोगों ने छोटू की जासूसी शुरू की और वो पकड़ा गया फिर दो-तीन साल बाद जब वह जेल से छूटता है तो देखता है कि उसकी 12 एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया गया था।
बदले की आग में जमीन लेने के लिए छोटू ने इलाके के बाबा लवान गैंग से मदद ली। जमीन मिलने पर छोटू को बाबा पर यकीन हो गया और वह खुद भी गैंग में शामिल हो गया। छोटू ने बाबा के साथ काफ़ी लंबे वक्त तक काम किया। बाबा के इंतक़ाल के बाद गैंग को छोटू नए लीडर के तौर पर मिला। समय के साथ छोटू गैंग पूरे पाकिस्तान में मशहूर हो गया। 2004 तक छोटू पंजाब का सबसे बड़ा क्रिमिनल बन गया।
2005 में छोटू ने सिंधु रिवर हाईवे से 12 चीनी इंजीनियर को अगवा करवा दिया था। चीनी इंजीनियरो को छोड़ने के लिए उसने भारी कैश लेने के साथ कई साथियों को जेल से छुड़ाया। ये सिलसिला बढ़ता गया 2016 में उसने 24 पुलिसवालों को अगवा कर लिया। अपनी मांग में उसने साथियों को जेल से छोड़ने की बात कही। उसने छह पुलिसकर्मियों को मार भी दिया।
तत्कालीन पीएम “नवाज़ शरीफ़” ने छोटू को पकड़ने के लिए सेना की मदद ली और सेना के 21 दिनों तक चले ऑपरेशन के बाद अन्य पुलिसकर्मियों की रिहाई के बदले उसने सुरक्षित बाहर निकलने की शर्त रखी। 24 अप्रैल 2016 को सेना ने आखिरी चेतावनी दी तो छोटू ने कहा कि वह पुलिस के सामने सरेंडर नहीं करेगा पर सेना का वह सम्मान करता है। वह अपने 70 साथियों के साथ हथियार डाल देता है।
3 साल तक मुकदमा चलने के बाद छोटू समेत 19 डाकूओं को मार्च 2019 में फांसी की सजा दे दी जाती है। बाद में उसके साथियों ने कुछ पुलिस वालों को किडनैप करके छोटू को छुड़ाने की कोशिश की। इस मामले में छोटू को 298 साल की सजा सुनाई गई है। फिलहाल वह जेल में बंद है। उसके पास कई कानूनी विकल्प बचे हैं, जिसकी वजह से उसे अभी तक फांसी की सजा नहीं दी जा सकी है।
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