Second Hand Electric Car: सेकंड हैंड इलेक्ट्रिक कार खरीदने से पहले जानें 5 बातें, फायदे से ज्यादा नुकसान तो नहीं ?

 
Second Hand Electric Car: सेकंड हैंड इलेक्ट्रिक कार खरीदने से पहले जानें 5 बातें, फायदे से ज्यादा नुकसान तो नहीं ?

Second Hand Electric Car: हाल के दिनों में देश में समेत दुनिया भर में इलेक्ट्रिक वाहनों की लगातार मांग बढ़ी है, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें बहुत ज्यादा अधिक हैं। बहुत लोग सेकंड हैंड वाहन बाजार में इलेक्ट्रिक कारों की तलाश कर रहे हैं। लेकिन उपभोक्ता इस बात को लेकर संशय में हैं कि सेकेंड हैंड इलेक्ट्रिक कार खरीदने का फैस

पिछले कुछ महीनों में भारतीय वाहन मार्केट में इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग बढ़ी है। इसके पीछे तीन कारण हैं। भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें दिन पर दिन बढ़ते जा रही है, लोगों की दिलचस्पी इलेक्ट्रिक वाहनों में बढ़ रही है। साथ ही सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। साथ ही केंद्र और राज्य सरकारें इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा कर रही हैं। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना फिलहाल आम आदमी की पहुंच से बाहर है। इसी तरह सेकेंड हैंड इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग भी बढ़ी है।

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अगर आप भी सेकेंड हैंड या पुरानी इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए है। क्योंकि इसमें हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि सेकेंड हैंड इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना सही है या गलत। हम आपको इन गाड़ियों के फायदे और नुकसान बताएंगे। तो इस खबर को पढ़ने के बाद आप तय कर सकते हैं कि सेकंड हैंड या पुरानी इलेक्ट्रिक कार खरीदनी है या नहीं।

कम इलेक्ट्रिक वाहन ऑप्शन अवेलेबल हैं  

अगर आप एक अच्छी सेकेंड हैंड इलेक्ट्रिक कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं तो आपको निराशा हो सकती है। क्योंकि ICE इंजन वाले वाहनों की तुलना में देश में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री कम होती है। साथ ही ऐसी बहुत कम कारें मार्केट में अवेलेबल हैं। साथ ही, हाल के दिनों में भारत में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री शुरू हुई है। इसलिए आपको सेकेंड हैंड वाहन बाजार में बहुत सारी इलेक्ट्रिक कारें नहीं दिखेंगी।

पेट्रोल-डीजल की तुलना में चलाने में कम लागत

देश के पास इलेक्ट्रिक गाड़ियो के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। साथ ही इलेक्ट्रिक कारें डीजल या पेट्रोल कारों की तुलना में महंगी होती हैं। ईवीएस में चलने वाले हिस्से कम होते हैं। साथ ही पेट्रोल-डीजल की तुलना में इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने में कम खर्च आता है। शहरों में कुछ जगहों पर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग स्टेशन खड़े होने लगे हैं। ऐसे में अगर आप शहरों में इलेक्ट्रिक वाहन लेकर घूम रहे हैं तो आपको ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। साथ ही ईंधन खर्च में भी बचत

कम पुनर्विक्रय मूल्य  

इलेक्ट्रिक गाड़ियो की कीमतें पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में तेजी से गिरती हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आप सेकंड हैंड इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपको ये वाहन बेहद सस्ते दामों पर मिल सकते हैं। साथ ही आपको बाजार में अच्छे सौदे मिल सकते हैं। अगर आप सेकेंड हैंड इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाह रहे हैं तो आपके लिए एक अच्छा सौदा है। आपको एक सस्ती कार मिलेगी और बाद में ईंधन की लागत भी बचेगी।

परफॉरमेंस

जब इलेक्ट्रिक गाड़ियो के प्रदर्शन की बात आती है, तो ये कारें कई आईसीई इंजन वाली कारों की तुलना में अच्छा प्रदर्शन करती हैं। लेकिन ईवी की रेंज एक बड़ी बाधा है। इलेक्ट्रिक वाहन एक बार चार्ज करने के बाद 100 से 500 किलोमीटर की दूरी तय कर सकते हैं। इसके बाद वाहन को रिचार्ज करने में 3 से 8 घंटे का समय लगता है। इलेक्ट्रिक वाहन शोर नहीं करते हैं। इन वाहनों से किसी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण और वायु प्रदूषण नहीं होता है। यह आपको स्मूद ड्राइविंग एक्सपीरियंस देता है। अधिकांश इलेक्ट्रिक वाहन स्वचालित हैं। साथ ही इन वाहनों को चलाना भी आसान है। कई ईवी शानदार टॉर्क देते हैं।

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