Mercedes और BMW जैसी गाड़ियों में क्यों लग रही आग, जानें इसके पीछे क्या है वजह
Mercedes और BMW की कई बेहतरीन लग्जरी कार्स (Luxury Cars) भारतीय मार्केट में मौजूद हैं जिन्हें देश के लोग खूब पसंद भी करते हैं. इसी कड़ी में अब आपको बता दें कि आजकल इन लग्जरी गाड़ियों में आग लगने की घटना काफी सामने आ रही है. इसीलिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं इसके पीछे का कारण कि आखिर क्यों इतनी महंगी गाड़ियां मिनटों में राख हो जाती हैं. साथ ही इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी आपको बताने जा रहे हैं जिसके बारे में आपको जानकारी होना बेहद जरुरी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन महंगी लग्जरी गाड़ियों में हालांकि 6 एयरबैग (Airbag) दिए जाते हैं साथ ही इनमें कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. तो फिर क्यों इतनी जल्दी इन गाड़ियों में आग लग जाती है. इस सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख में मिल जाएंगे.
BMW और Mercedes कारों में आग क्यों लग रही
आपको बता दें कि एक्सपर्ट्स के मुताबिक कई सारे सेफ्टी फीचर्स के बावजूद किसी भी गाड़ी में आग लग सकती है. इसके अलावा कार पेट्रोल से चलती है या डीजल से इससे भी फर्क पड़ता है. पेट्रोल आसानी से आग पकड़ता है. वहीं डीजल को जलने के लिए ग्लोबली 50 डिग्री सेल्सियस टेंपरेचर चाहिए. हालांकि आपको बता दें कि भारत में यह टेंपरेचर केवल 35 डिग्री सेल्सियस तक रखा गया है.
देश में डीजल गाड़ियों का फ्लैशपॉइंट
अब आपको बता दें कि देश में डीजल 35 डिग्री सेल्सियस तापमान पर आग पकड़ सकता है. हालांकि आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पिछले कई सालों से ऑटो इंडस्ट्री डीजल के फ्लैशपॉइंट को बढ़ाने की मांग कर रही है. लेकिन अभी तक इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है.
चलती कारों में क्यों लग रही आग
अब आपको बता दें कि कई बार चलती हुई गाड़ियां भी आग के लपेटे में आ जाती हैं. आपको बता दें कि लोग अपनी गाड़ियों में अलग से साउंड सिस्टम और लाइटिंग वगैरह भी लगवाते हैं. इसलिए तारों की स्पार्किंग होने से भी कार में आग लगने का खतरा रहता है. इसीलिए ज्यादातर गाड़ियां चलते-चलते ही आग पकड़ लेती हैं.
इलेक्ट्रिक गाड़ियों (Electric Cars) में क्यों लगती है आग
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि टाटा नेक्सन (Tata Nexon) और टेस्ला (Tesla) की इलेक्ट्रिक गाड़ियों (Electric Cars) में भी आग लगने की खबर आई हैं. इलेक्ट्रिक कारों में बैटरी पर दबाव पड़ने से आग लगने का खतरा पैदा होता है. टेस्ला के मामले में कार ऑटोपायलेट मोड पर थी जिससे कार कंट्रोल के बाहर हो गई. इसलिए इन कार निर्माता कंपनियों को भी इन मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है.
इलेक्ट्रिक कार की बैटरी तापमान
आपको बता दें कि ग्लोबल लेवल पर इलेक्ट्रिक कार की बैटरी ज्यादा से ज्यादा 50 डिग्री सेल्सियस का टेंपरेचर झेल सकती है. ऐसे मामले में बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम काम आता है. इसलिए ज्यादा टेंपरेचर वाली जगह पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों को ज्यादा खतरा रहता है. इसीलिए कई बार देखा गया है कि कार्स के साथ-साथ इलेक्ट्रिक स्कूटरों में भी आग लग जाती है.
Mercedes And BMW Vehicle Alert System
हालांकि आपको बता दें कि गाड़ियों में कोई भी खतरा होने पर व्हीकल अलर्ट सिस्टम दिया गया है जो अपने आप एक्टिवेट हो जाता है. लेकिन एक्सीडेंट के दौरान कुछ मिलीसेकेंड में कार आग पकड़ लेती है. इसीसिए अलर्ट भेजने के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता है और गाड़ी में आग लग जाती है.
सरकार क्या कर रही
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे मिनिस्ट्री (Highway Ministry) ने एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) बेंगलुरु, नेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी लैबोरेट्री (NSTL) विशाखापत्तनम और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मद्रास इस कमेटी के सदस्य हैं. कमेटी ने केंद्रीय मोटर वाहन नियमों में अधिसूचित मौजूदा बैटरी-सेफ्टी रूल्स में अलग से सेफ्टी आवश्यकताओं की सिफारिश की है.