7th Pay Commission: न्यायालय से जुड़ा यह संशोधन को संसद की मंजूरी
संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा हैं , संसद ने उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायाधीशों के वेतन एवं सेवाशर्तों से जुड़े एक विधेयक को सोमवार को मंजूरी दे दी। सरकार ने कहा कि जिस प्रकार कोविड़ प्रतिबंधों के दौरान देश की अदालतों ने आनलाइन सुनवाई की उससे लंबित मामलों के अंबार को कम करने में काफी मदद मिलेगी। राज्यसभा ने उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक 2021 को सोमवार को चर्चा के बाद लोकसभा को लौटा दिया।
उच्च न्यायालय एवं उच्चतम न्यायालय (वेतन एवं सेवा शर्त) संशोधन विधेयक 2021 एक धन विधेयक है। लोकसभा में यह विधेयक आठ दिसंबर को पारित हो चुका है। विधेयक पर उच्च सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेन्शन सम्बंधी विसंगति को दूर करने के लिए यह विधेयक लाया गया है।संसद में चल रही चर्चा के दौरान उठाए गए लंबित मामलों के मुद्दे पर क़ानून मंत्री ने कहा ‘‘मामलों का निस्तारण कई बातों पर निर्भर करता है।
न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या निश्चित रूप से निपटारे में मदद करेगी। अवसंरचना और संसाधन भी महत्वपूर्ण हैं। साथ ही सबूतों की प्रकृति और सभी पक्षों के सहयोग के साथ अन्य कारक भी हैं जिनका असर सुनवाई और मामलों के निपटारे पर पड़ता है। उन्होंने आगे कहा ‘‘अवसंरचना और संसाधनों के लिए केंद्र तो मदद करेगा ही, लेकिन राज्य सरकारों को भी आगे आना होगा। उच्च न्यायालयों व अधीनस्थ अदालतों की अवसंरचना की जिम्मेदारी राज्यों की है।रिजीजू ने बताया की “निचली अदालतों के लिए केंद्र प्रायोजित योजना को पांच साल के लिए और बढ़ा दिया गया है और इसमें नौ हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
इनमें अवसंरचना सुधार से लेकर अन्य सुविधाएं मुहैया कराना शामिल है। केंद्रीय कानून मंत्री रिजीजू ने कहा ‘‘लगभग 90 प्रतिशत लंबित मामले निचली अदालतों में हैं। कोविड महामारी के दौर में भी उच्चतम न्यायालय उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ अदालतों ने काम बंद नहीं किया बल्कि ऑनलाइन व्यवस्था के माध्यम से सुनवाई जारी रखी। इसे देख कर लगता है कि लंबित मामलों का निपटारा भी शीघ्र होगा। उन्होंने कहा ‘‘जो मामले नियमित चल रहे हैं, वे चलते रहेंगे।
लेकिन कोविड काल में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये जिला अदालतों ने 1,10,72,000 मामलों की, उच्च न्यायलयों ने 55,24,021 मामलों की और उच्चतम न्यायलय ने 1,50,092 मामलों की सुनवाई की। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और किसी भी देश में कोविड काल में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इतने मामलों की सुनवाई नहीं की। क़ानून मंत्री ने आगे बताया ‘‘18, 735 जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में कंप्यूटरीकरण का काम हो चुका है। जिन जगहों पर नेटवर्क की दिक्कत है वहां अदालतों में कुछ दिक्कत है। ओडिशा की अदालत में लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की गई है।
रिजीजू ने कहा मामलों की ई-फाइलिंग की व्यवस्था की गई है। नेशनल सर्विस एंड ट्रैकिंग व्यवस्था तो न्यायिक सुधार का हिस्सा है जो आज हकीकत बन गया हैं। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया शीर्ष अदालत से शुरू होती है, और प्रक्रिया का पालन करना होता है। उन्होंने कहा कि 1993 तक न्यायाधीशों की नियुक्ति की एक प्रक्रिया थी और इसके तहत जितने अच्छे तरीके से नियुक्ति हुई, यह स्पष्ट है। बाद में कॉलेजियम की व्यवस्था लागू हुई।
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