ये भी जानें : रूस और यूक्रेन युद्ध का Indian Railway पर पड़ रहा है कितना बड़ा असर, पढ़ें

 
ये भी जानें : रूस और यूक्रेन युद्ध का Indian Railway पर पड़ रहा है कितना बड़ा असर, पढ़ें

Indian Railway News: युक्रेन और रूस का युद्ध भले ही दो देशों का युद्ध हो लेकिन इसका व्यापक प्रभाव किसी ना किसी तरह से पूरे विश्व के लगभग हर देश पर पड़ रहा है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. भारत पर इन दो देशों के युद्ध से क्या व्यापक प्रभाव पड़ा है आइए समझते हैं.

यूक्रेन संकट से भारतीय रेल (Indian Railway) भी अछूती नहीं रह गई है. रूस यूक्रेन युद्ध के कारण भारतीय रेल के डिब्बों और इंजन का निर्माण अटक गया है या दूसरे शब्दों में कहें तो रेलवे के विस्तार का पहिया थम गया है. बता दें कि यूक्रेन भारतीय रेल को पहियों की सप्लाई करता है. ऐसे में फरवरी से लेकर अब तक रेलवे की कई उत्पादन इकाइयां अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं. डिब्बों, पहियों, इंजन और अन्य वस्तुओं की डेडलाइन बार बार आगे बढ़ानी पड़ रही है.

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ये भी जानें : रूस और यूक्रेन युद्ध का Indian Railway पर पड़ रहा है कितना बड़ा असर, पढ़ें
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ये पड़ा है असर

रेलवे फिलहाल अपनी लंबी दूरी की रेलगाड़ियों में एलएचबी डिब्बों का इस्तेमाल करती है. यूक्रेन से सप्लाई न मिलने के कारण ये डिब्बे अब कम बन रहे हैं. रेलवे ने बताया कि एलएचबी डिब्बों के निर्माण में कमी पहियों की आपूर्ति बाधित होने की वजह से आई है. रेलवे को अधिकतर पहिए यूक्रेन से मिलते हैं जहां युद्ध के कारण परिवहन ठप है. रेलवे ने बताया, ‘‘जहाज पर लादे जा चुके पहिए यूक्रेन में फंस गए. हालांकि अब मामला निपटा लिया गया है. ऐसे में उम्मीद है कि साल के अंत तक उत्पादन में कमी की भरपाई कर ली जाएगी.

डिब्बों और रेल इंजनों का घटा उत्पादन

रेलवे में घटते उत्पादन के बारे में बताया गया है कि ईएमयू/मेमू ट्रेन के लिए इस अवधि में महज 53 डिब्बों का निर्माण हुआ. जबकि लक्ष्य 730 डिब्बों के निर्माण का था. इनमें से 28 डिब्बों का निर्माण कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्टरी में, 14 डिब्बे चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी में और 11 डिब्बे रायबरेली स्थित मॉडर्न कोच फैक्टरी में बने हैं.

रेल डिब्बों के साथ ही रेल के इंजनों का उत्पादन भी ठप है. सबसे बुरी स्थिति मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (मेमू) और ईएमयू ट्रेनों के इंजनों का है। बैठक में मेमू या ईएमयू इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम, 60केवीए ट्रांसफॉरमर और स्वीच कैबिनेट की आपूर्ति में भी कमी आई है. बता दें कि मेमू और ईएमयू का संचालन छोटी दूरी के मार्गों पर होता है. रेलवे व्हील फैक्टरी अनुपातिक लक्ष्य (पूरे साल के लक्ष्य के अनुपात में उक्त अवधि का लक्ष्य) से 21.96 फीसदी और रेल व्हील प्लांट, बेला 64.4 फीसदी पीछे है.

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