Railway में हुआ बड़ा टिकट घोटाला,3 कर्मचारी हुए सस्पेंड, पढ़ें पूरी खबर
भारतीय रेलवे ने दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क माना जाता है. लाखों कर्मचारी प्रतिदिन
ट्रेन के द्वारा अपना सफर पूरा करते हैं. लेकिन रेलवे (Railway) की इस पूरी व्यवस्था का भार जिन कर्मचारियों के ऊपर हैं उनमें से कुछ कर्मचारी ऐसे होते हैं जो रेलवे को चूना लगाने के काम करते हैं और यात्रियों से धोखाधड़ी करते हैं. ऐसा ही वाकया अंबाला मंडल के तीन रेलवे स्टेशनों से सामने आया है. जहां रेलवे स्टेशनों पर कर्मचारी लंबे समय से टिकट घोटाला कर रहे थे.आपको इस टिकट घोटाला का पूरा सच बताते हैं.
ये कर्मचारी अनरिजर्व टिकटिंग सिस्टम (UTS) से रेलकर्मी ब्लैंक (बिना प्रिंट की) टिकटें निकालकर उन्हें लंबी दूरी की बनाकर राशि अपनी जेब में डालते रहे. ये टिकटें खासतौर पर उत्तर प्रदेश और बिहार की तरफ जाने वाले यात्रियों को दी जाती थीं.इन फर्जी टिकटों को दूसरे स्टेशनों पर तैनात टिकट चेकिंग कर्मी भी नहीं भांप पाए. इस पूरे फर्जीवाड़े में चीफ बुकिंग सुपरवाइजर सहित चार कर्मचारी संदेह के घेरे में हैं.
अभी तक की जांच में अंबाला रेल मंडल के संगरूर, बरवाला और धुरी स्टेशन में यह घोटाला होने के संकेत मिले हैं. जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि यह घोटाला कब से चल रहा है। संगरूर से दिल्ली और संगरूर से मथुरा की जारी की गई फर्जी टिकटें भी हाथ लग चुकी हैं.
कैसे बनाते थे फर्जी टिकट
आपको बता दें रेलकर्मी यूटीएस से कम दूरी की 30 रुपये वाली टिकटें बनाते थे और उसका प्रिंट निकालने से पहले प्रिंटर से कार्टेज हटा देते थे. इससे ब्लैंक टिकट निकल जाती थी. इस तरह से रेलकर्मी संगरूर से सुनाम की कई ब्लैंक टिकटें निकाल लेते थे.
जब संगरूर से मथुरा, संगरूर से दिल्ली या फिर संगरूर से गोरखपुर की टिकट लेने कई यात्री आते तो टिकट निकालने से पहले उसके पीछे उच्च गुणवत्ता का कार्बन लगाकर ब्लैंक टिकट भी लगा देते थे. इस प्रकार संगरूर से गोरखपुर की दो टिकट निकलती थीं. इस तरह से कई स्टेशनों पर खेल चल रहा है, लेकिन फिलहाल जांच में, संगरूर, धुरी और बरवाला का नाम भी सामने आया है. इसके बाद अंबाला के कामर्शियल अधिकारी और विजिलेंस ने अपने-अपने स्तर पर जांच शुरू की.
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