अचानक रोज-रोज बढ़ता पेट्रोल दाम अगर रुक जाए तो जनता के लिए सहूलियत होती है। लेकिन इस सहूलियत की वजह को जानना भी जरूरी है। आखिर मोदी सरकार की किस तरकीब के वजह से लगातार 38 दिन से पेट्रोल और डीजल के दाम नहीं पढ़े हैं।
पेट्रोल और डीजल जिसे लोग रोजमर्रा की जिंदगी एक अहम बहुत अहम हिस्सा मानने लगे हैं। उसके लगातार बढ़ते मूल्य की वजह से परेशान होना लाजमी है, परंतु सरकार ने 4 नवंबर को आखिरी बार पेट्रोल और डीजल के मूल्य में बदलाव किया था।
केंद्रीय उत्पाद शुल्क घटाने के बाद से इसके मूल्य स्थिर हो गए, ईंधन की कीमतों पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती कर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर ब्रेक लगाया गया जो भारतीय जनमानस के लिए यह खबर बहुत ही संतोषजनक है।
वैसे पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर रोक की एक वजह नहीं हो सकती ,कई वजह होंगी, क्योंकि इनकी कीमतें कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे:- सप्लाई और डिमांड की भूमिका, डॉलर और रुपए में बदलाव और अभी एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में रोजाना करीब 37 लाख बैरल क्रूड की खपत होती है। हम अपनी खपत की पूर्ति के लिए लगभग 80 फीसदी तेल आयात करते हैं।
ब्रेंट क्रूड की कीमत पर असर, और फिर आखरी निर्णय तेल कंपनियों पर निर्भर करता है। अभी देश में पेट्रोल और डीजल के दामों में कितना बदलाव करना है, कब बदलाव करना है ,यह फैसला वहां की तेल कंपनियां लेती हैं।
सभी तथ्य को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया जाता है, वैसे देश के हर शहर कि अपनी कीमतें अलग-अलग होती है। यह वहां की राज्य सरकार का निजी फैसला भी होता है। देश में इन पर लगने वाला उत्पाद शुल्क भी पेट्रोल और डीजल के मूल्य बढ़ने का एक अहम कारण है।