Russia-Ukraine-Conflict: कच्चे तेल के बढ़ते दामों के बीच, UAE ने खेला दाव- नही बढ़ेंगे तेल के दाम ?
Russia-Ukraine-Conflict: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में तेल के दामों में भारी उछाल आने की उम्मीद लगाई गई थी। अभी बीते दिनो में रूस के उप प्रधानमंत्री ने कच्चे तेल को 300 रुपये प्रति बैरल भी जा सकता है। इस तरह की चेतावनी भी दी थी। लेकिन इसी बीच कच्चे तेल को भारी मात्रा में Export करने वाले UAE ने बड़ा दाव खेला है।
UAE बढ़ाएगा तेल का उत्पादन ?
Crude oil की कीमतों में आज भारी गिरावट देखने को मिली है। मीडिया में ऐसी रिपोर्ट सामने आ रही हैं जिसमें कीमतों पर नियंत्रण के लिये UAE अपने तेल उत्पादन को बढ़ाने के पक्ष में है। आपको बता दे कि रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा ऐसा देश है, जो कच्चे तेल को Export करता है। लेकिन रूस अभी युद्ध के दौर में चल रहा है।
कितने रुपये प्रति बैरल कच्चा तेल ?
इसी के साथ तेल की कीमतों में आज करीब 18 प्रतिशत तक की भारी गिरावट देखने को मिल गई है और brent crude price 113 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से काफी नीचे आ गया है। इससे पहले इसी हफ्ते ब्रेंट क्रूड 139 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के पास पहुंच गया था। कीमतों का ये स्तर पिछले 14 सालों में सबसे ऊंचा स्तर रहा है।
रूस और यूक्रेन में युद्ध से क्या पड़ेगा फ़र्क़ ?
रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेलों में कीमतों में एक हफ्ते में 30 प्रतिशत से भी ज़्यादा का भारी उछाल देखने को मिल चुका है। फाइनेंशियल टाइम्स (Financial Times) ने अमेरिका में मौजूद यूएई (UAE) के राजदूत के हवाले से लिखा है कि यूएई कच्चे तेल के उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में है। अगर ऐसा होता है तो पूरी दुनिया कच्चे तेल के बढ़ते दामों से बच सकती है।
रिपोर्ट में किया गया दावा
वहीं रॉयटर्स ने बाजार के जानकारों से की गई बातचीत के बाद लिखा है कि यूएई (UAE) करीब-करीब 8 लाख बैरल तेल का उत्पादन बढ़ा सकता है। जो कि रूस पर लगे प्रतिबंधों से घटी सप्लाई के सातवें हिस्से की पूरी भरपाई कर देगा। वहीं आने वाले समय में ईरान से भी कच्चे तेल की सप्लाई बढ़ने का पूरा-पूरा अनुमान है।
अर्थव्यवस्था में आएगी गिरावट ?
इन संकेतों को देखते हुए जानकारों ने अनुमान लगाया है कि कीमतों में आगे और भी कमी आ सकती है।दरअसल तेल उत्पादक देशों को भी आशंका है कि तेल कीमतों में इतने उछाल से मांग पर नकारात्मक असर पड़ेगा वहीं अर्थव्यवस्थाओं में महंगे तेल से अगर सुस्ती आती है तो कच्चे तेल की कीमतों में और भी ज़्यादा गिरावट देखने को मिल सकती है।
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