CEO भारतीय व्यक्ति है लेकिन भारतीय बाज़ार में उस कंपनी का योगदान निल बटे सन्नाटा है, पढ़िए पूरी स्टोरी
गूगल, माइक्रसॉफ़्ट, अडोबी, सिस्को, IBM, VM वेयर, नोकिया और ट्विटर जैसी दुनिया के सबसे बड़ी कम्पनियों के CEO इंडिया से हैं। ये सारी कम्पनियाँ अमरीकन हैं और इंडियन टैक्स पेयर के पैसे से IITs जैसी टॉप संस्थाओं में सब्सिडायज़्ड पढ़ाई करने के बाद ये लोग अमेरिकन कम्पनियों को आगे बढ़ा रहे हैं।
सत्य नडेला हों या पराग अग्रवाल, भारत में इनकी उपलब्धियों को सराहा भी जाता है और गर्व भी किया जाता है। हालाँकि इसमें कोई ग़लत बात नहीं, किसी भारतीय नागरिक को इतनी बड़ी पोजिशन पर पहुँचता देख मुझे भी ख़ुशी होती हैं।
लेकिन यहाँ दो बातें गौर करने लायक़ हैं…
पहली बात ये कि ये जितनी भी कम्पनियां जिनके CEO भारतीय व्यक्ति बनाए गए हैं। इनमें से एक भी कम्पनी भारत के स्टॉक मार्केट में लिस्टेड नहीं, और न ही वो यहां कोई विशेष टैक्स चुकाती हैं या फिर कोई बड़ा एम्प्लॉमेंट देती हैं। इन कम्पनियों ने भारतीय बाज़ार और भारतीय निवेशक को अपने यहाँ निवेश करने लायक़ नहीं समझा है।
दूसरी बात, हम किसी भारतीय के किसी विदेशी कम्पनी के CEO बनने पर गर्व करते हैं, जबकि CEO भी एक कर्मचारी ही होता है, मालिक नहीं। उसी समय जब कोई भारतीय बिज़नेसमेन दुनिया में सफलता के झंडे गाड़ता है, देश में लाखों लोगों को रोज़गार देता है और सबसे ज़्यादा टैक्स जमा करता है तो उसके दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में शुमार होने पर उसको चोर बोलते हैं।
जबकि वो रोज़गार भी दे रहा, टैक्स भी दे रहा और देश को समृद्ध बनाने में योगदान भी दे रहा। इसीलिए नडेला, पिचाई और अग्रवाल की सफलता पर गर्व करिए लेकिन भारत में रहकर भारत को समृद्ध बनाने वाले हर बिज़नेसमेन को भी उसका ड्यु क्रेडिट दीजिए।