National Education Policy: हरियाणा सरकार हिंदी भाषा में तकनीकी पाठ्यक्रम की करेगी शुरुआत

नई दिल्ली: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने भारतीय भाषा को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी कई मौकों पर इस पर जोर दिया है। उसी के आधार पर, एआईसीटीई ने तकनीकी संस्थानों के लिए क्षेत्रीय भाषा में पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए सक्षम प्रावधान किए हैं ताकि छात्र अपनी मातृभाषा में तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर सकें। हरियाणा राज्य के तीन विश्वविद्यालयों को अब एआईसीटीई द्वारा हिंदी में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति दी गई है, जिसमें 210 अतिरिक्त सीटों को मंजूरी दी गई है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की परिकल्पना है कि उच्च शिक्षण संस्थान शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय भाषा का उपयोग करेंगे, और/या द्विभाषी रूप से कार्यक्रम पेश करेंगे, ताकि पहुंच और सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि हो सके। यह सभी भारतीय भाषाओं की ताकत, उपयोग और जीवंतता को भी बढ़ावा देगा। शिक्षा नीति यह मानती है कि भारत की समृद्ध विविधता का ज्ञान शिक्षार्थियों द्वारा पहले आत्मसात किया जाना चाहिए। इसके अलावा, इस तरह के कार्यक्रमों के निर्माण और क्षेत्रीय भाषाओं में ज्ञान प्रदान करने से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों के लिए रोजगार के अवसरों का विस्तार होने की संभावना है जो वास्तव में उच्च योग्यता का प्रभावी उपयोग कर सकते हैं।

हरियाणा के तीन राज्य विश्वविद्यालय शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से हिंदी में तकनीकी स्नातक कार्यक्रम शुरू करने के लिए आगे आए हैं। जेसी बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, फरीदाबाद को मैकेनिकल इंजीनियरिंग में 30 अतिरिक्त सीटों को मंजूरी दी गई है। दीन बंधु छोटू राम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, सोनीपत को मैकेनिकल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्नातक कार्यक्रमों में प्रत्येक में 30 अतिरिक्त सीटें दी गई हैं। इसी तरह, गुरु जंबेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार को इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार इंजीनियरिंग, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, कंप्यूटर विज्ञान इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी स्नातक कार्यक्रमों में प्रत्येक में 30 अतिरिक्त सीटों के लिए मंजूरी दी गई है।
छात्रों की सुविधा के लिए, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीकी पाठ्यक्रम को अपनाने और सीखने के लिए, एआईसीटीई ने पहले वर्ष के स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए 5 क्षेत्रीय भाषा क्रमश: हिंदी, तमिल, तेलुगु, बंगाली और मराठी में में किताबें तैयार कर ली हैं। इसी प्रकार डिप्लोमा छात्रों के लिए 8 क्षेत्रीय भाषाओं में प्रथम वर्ष की पुस्तकें भी तैयार की गई हैं। यह 8 भाषाएं हिंदी, तमिल, तेलगु, बंगाली, मराठी, पंजाबी, गुजराती और कनाडा हैं। एआईसीटीई में किताबों का उर्दू में अनुवाद करने का काम भी चल रहा है। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस आधारित अनुवाद टूल का उपयोग करके एआईसीटीई द्वारा यह अनुवाद कार्य किया गया है।
सामग्री प्रदान करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए, 29 सितंबर 2021 को प्रोफेसर एमपी पूनिया द्वारा हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल को पुस्तकों का एक सेट भी प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने व्यक्त किया कि “भारतीय भाषा हमारी प्राचीन बुद्धिका भंडार है । तकनीकी शिक्षा से जुड़ने से, इसमें नए आयामों को फिर से खोजने की काफी संभावनाएं और गुंजाइश होती है। विशेष रूप से ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों में अपार संभावनाएं होती हैं और क्षेत्रीय भाषा में ऐसी किताबें उन्हें तकनीकी ज्ञान हासिल करने में मदद करेंगी। यह ऐसे छात्रों को अपनी अनुभवात्मक शिक्षा को बेहतर रूप में लागू करने में सक्षम बनाएगा और उन्हें रोजगार योग्य बनने और समाज के लिए मददगार बनने में मदद करेगा।"