भगोड़े कारोबारियों विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी और अन्यों से इतने 'हज़ार' करोड़ हो चुके है वसूल !

बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भगोड़े बिज़नेसमैन विजय माल्या, नीरव मोदी ,मेहुल चोकसी और अन्यों से बैंकों को 18,000 करोड़ रुपये की राशि वापस कर ली गई है. सुप्रीम कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय को दी गई शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बैच की सुनवाई कर रहा है.
केंद्र ने कहा कि भारत में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा 4,700 PMLA मामलों की जांच की जा रही है और अदालत के समक्ष लंबित अपराधों की कुल आय 67,000 करोड़ रुपये है.
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे एक बड़ी राशि अभी भी अटकी हुई है और अदालतों द्वारा दी जा रही कानूनी सुरक्षा के कारण वसूली के चरण को पार नहीं कर रही है.
उन्होंने कहा, "हजारों करोड़ की ठगी करने वाले कुछ लोगों को अदालतों का कानूनी संरक्षण मिल रहा है. अब तक अदालतों ने गैर-जबरदस्त कार्रवाई करके 67000 करोड़ रुपये की राशि रोकी है."
पिछले हफ्तों में कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और मुकुल रोहतगी सहित कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने धन शोधन निवारण अधिनियम या पीएमएलए में हालिया संशोधनों के संभावित दुरुपयोग की ओर इशारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुतियाँ दी हैं.
शीर्ष अदालत कानून के तहत अपराध की आय की खोज, जब्ती, जांच और कुर्की के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को उपलब्ध शक्तियों के व्यापक दायरे को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.
मेहता ने पीठ के समक्ष सरकार का पक्ष प्रस्तुत किया और पीठ को अवगत कराया कि पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा विधेय अपराधों के लिए लगभग 33 लाख की प्राथमिकी दर्ज करने में से केवल 2,086 मामलों को पीएमएलए के तहत जांच के लिए लिया गया था.
उन्होंने कहा, "यूके (7,900), यूएस (1,532), चीन (4,691), ऑस्ट्रिया (1,036), हांगकांग (1,823), बेल्जियम (1,862) और रूस (2,764) में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत मामलों के वार्षिक पंजीकरण की तुलना में पीएमएलए के तहत जांच के लिए बहुत कम मामले उठाए जा रहे हैं.
मेहता ने जोर देकर कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ उपायों ने स्पष्ट रूप से नशीली दवाओं या आतंकवाद से संबंधित अपराधों को छोड़ दिया है और इससे आगे बढ़ गए हैं. उन्होंने इसके अलावा, मनी लॉन्ड्रिंग के प्रयासों को घरेलू कानूनों में व्यापक श्रेणी के अपराधों को शामिल करने की लगातार वकालत की है.