किसानो की मौत पर कृषि मंत्री का संसद में बड़ा बयान, अब राज्यों के पाले में गेंद
केंद्रित कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद में किसानो की मौत पर दो टूक बात कही। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में कहा कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में साल भर से चले आ रहे किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई में किसी किसान की मौत नहीं हुई। साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजे का विषय संबंधित राज्य सरकारों का है। पंजाब और कुछ हरियाणा के किसान संगठन तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे।
जिन्हें अब खत्म कर दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने और एमएसपी समेत किसानों की प्रमुख लंबित मांगों को स्वीकार करने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने आंदोलन को स्थगित कर दिया। कांग्रेस नेता धीरज प्रसाद साहू और आप नेता संजय सिंह के संयुक्त प्रश्न के जवाब में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में कहा, “आंदोलन में मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजे का मामला संबंधित राज्य सरकारों के पास है। किसान आंदोलन के दौरान पुलिस की कार्रवाई से किसी भी किसान की मौत नहीं हुई।”
तीनों कृषि कानून के रद्द किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने किसानों की बाकी मांगें भी मान ली हैं। केंद्र और राज्य सरकार द्वारा प्रदर्शनकारी किसानों पर दर्ज किए गए सभी केस तुरंत वापस लेने का ऐलान किया गया है। मुआवजे को लेकर भी उत्तरप्रदेश और हरियाणा सरकार ने सहमति दे दी है। साथ ही पराली को लेकर भी किसानों के ऊपर कैद और जुर्माने का प्रावधान हटाने का आश्वासन सरकार की तरफ से दे दिया गया है। जिसके बाद किसान नेताओ ने अपना आंदोलन स्थगित कर दिया गया हैं।
इसके पहले, गुरुवार को केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को स्वीकार करने के साथ ही संयुक्त किसान मौर्चा ने आंदोलन को स्थगित करने का फैसला किया था। किसान मोर्चा ने कहा कि 11 दिसंबर से किसानों की वापसी शुरू होगी। सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान 11 दिसंबर को पंजाब के लिए रवाना होंगे। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के उनके ऐलान के बाद भी किसान नेता आंदोलन खत्म नहीं कर रहे थे। राकेश टिकैत समेत प्रमुख किसान नेताओं का कहना था कि जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती, वे आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।
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