सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नोएडा में ध्वस्त होंगी सुपरटेक की दो 40 मंजिला इमारतें, फ्लैट मालिकों को ब्याज समेत मिलेगा पैसा

 
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, नोएडा में ध्वस्त होंगी सुपरटेक की दो 40 मंजिला इमारतें, फ्लैट मालिकों को ब्याज समेत मिलेगा पैसा

सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक के नोएडा एक्सप्रेस स्थित एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के दोनों 40 मंजिला टावरों को तीन माह के भीतर गिराने का आदेश दिया है। रियल स्टेट कंपनी के लिए ये बड़ा झटका है। कोर्ट ने कंपनी को फ्लैट खरीदारों को ब्याज के साथ पैसे वापस करने का आदेश दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में नोएडा स्थित ट्विन टावर को तोड़ने और अथॉरिटी के अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अपील के दौरान रोक लगा दी थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2014 में नोएडा स्थित ट्विन टावर को तोड़ने और अथॉरिटी के अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर अपील के दौरान रोक लगा दी थी।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान नोएडा अथॉरिटी ने कहा था कि प्रोजेक्ट को नियम के तहत मंजूरी दी गई थी। ये भी दलील दी गई कि प्रोजेक्ट में किसी भी ग्रीन एरिया और ओपन स्पेस समेत किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है। उनके अधिकारियों ने कोई नियम नहीं तोड़ा है। कानून के तहत प्रोजेक्ट के प्लान को मंजूरी दी गई। वहीं फ्लैट बॉयर्स की ओर से दलील दी गई कि बिल्डर ग्रीन एरिया को नहीं बदल सकता है।

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न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा कि नोएडा प्राधिकरण और सुपरटेक के बीच मिलीभगत थी, जबकि नोएडा में इसकी एक परियोजना में सिर्फ दो टावरों के निर्माण की अनुमति दी गई थी। खंडपीठ ने कहा, नोएडा प्राधिकरण ने सुपरटेक को दो अतिरिक्त 40-मंजिल टावरों के निर्माण की अनुमति दी, जो खुले रूप से नियमों का उल्लंघन था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि 3 महीने के भीतर उसका विध्वंस किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने जोर देकर कहा कि शहरी क्षेत्रों में अनधिकृत निर्माण में बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई है, जो डेवलपर्स और शहरी नियोजन अधिकारियों के बीच मिलीभगत के परिणामस्वरूप हुई। अदालत ने कहा कि नियमों के इस तरह के उल्लंघन से सख्त तरीके से निपटा जाना चाहिए।

इस महीने की शुरूआत में, शीर्ष अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को एक हरे क्षेत्र में रियल एस्टेट डेवलपर सुपरटेक के दो आवासीय टावरों को मंजूरी देने के लिए फटकार लगाई थी। शीर्ष अदालत ने यह भी बताया कि प्राधिकरण ने भवन योजनाओं के बारे में घर खरीदारों से सूचना के अधिकार के अनुरोध को रोक दिया है।

शीर्ष अदालत का फैसला सुपरटेक और नोएडा प्राधिकरण द्वारा 11 अप्रैल, 2014 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपील पर आया, जिसमें दो टावरों, एपेक्स और सियेन को ध्वस्त करने का फैसला किया गया था, जो सुपरटेक की एमराल्ड कोर्ट परियोजना का हिस्सा था।

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