स्टडी में दावा- कोविशील्ड टीके से चेहरे की मांसपेशियां हो रही कमज़ोर

 
स्टडी में दावा- कोविशील्ड टीके से चेहरे की मांसपेशियां हो रही कमज़ोर

दुनिया व देशभर में कोरोना के ख़िलाफ़ लड़ाई में एकमात्र हथियार वैक्सीनेशन का सहारा लिया जा रहा है. भारत में सबसे ज्यादा जिस वैक्सीन का इस्तेमाल हो रहा है, वो है ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन. भारत में इस वैक्सीन को कोविशील्ड नाम दिया गया है. अब तक करोड़ों भारतीय इसकी डोज़ ले चुके है. इस बीच दावा किया गया है कि अनेकों लोगों को इसके दुष्प्रभाव का भी सामना करना पड़ रहा है.

कोविशील्ड से गुलियन बेरी सिंड्रोम

एक स्टडी में दावा किया गया है कि भारत में कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों में एक गंभीर सिंड्रोम की शिकायत देखी गई है. स्टडी में कहा गया है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका लगवाने वालों में न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर पाया जा रहा है. इस सिंड्रोम का नाम है- गुलियन बेरी (Guillain-Barre Syndrome). यह बीमारी नर्वस सिस्टम से जुड़ी हुई है. अगर यह बीमारी पूरे शरीर में फैल जाए तो शख्स को लकवा भी मार सकता है.

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विशेषज्ञों द्वारा इसे दुर्लभ बीमारी बताते हुए अध्ययन में कहा गया है कि गुलियन-बेरी सिंड्रोम एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर ऑटोइम्यून (स्व-प्रतिरक्षित) विकार है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र में मौजूद स्वस्थ कोशिकाओं पर ही हमला करने लगती है. इस बीमारी में मुख्य रूप से चेहरे की नसें कमजोर हो जाती हैं.

चेहरे की मांसपेशियां हुई कमज़ोर

अध्ययन के मुताबिक, भारत में वैक्सीन लेने के बाद इस बीमारी के सात मामले सामने आ चुके हैं. इन सातों लोगों ने कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी और उसके 10-22 दिन के बीच में इनमें गुलियन-बेरी सिंड्रोम के लक्षण देखने को मिले.

एनाल्स ऑफ न्यूरोलॉजी में प्रकाशित स्टडी में बताया गया है कि गुलियन बेरी सिंड्रोम की शिकायतकर्ताओं के चेहरे दोनों ओर से कमजोर होकर लटक गए थे. अक्सर 20 फीसदी से कम मामलों में ऐसा पाया जाता है. इस बीमारी पर शोध कर रहे वैज्ञानिक इस बात पर हैरान थे कि आखिर बीमारी इतनी तेज कैसे फैली. 

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