पीने का पानी किडनी और कैंसर जैसा रोग पहुंचा रहा Bihar के नसों में: रिपोर्ट
पटना के फुलवारीशरीफ स्थित महावीर कैंसर संस्थान, यूनाइटेड किंगडम की यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेचेस्टर, ब्रिटिश जियोलॉजिकल सोसाइटी और आईआईटी खड़गपुर के द्वारा संयुक्त रूप से किए गए शोध के अनुसार बिहार की राजधानी पटना समेत 6 जिले जिसमें सुपौल नालंदा, नवादा, सारण, सिवान एवं गोपालगंज शामिल हैं।
इस जगहों के पानी में पहली बार यूरेनियम काफी अधिक मात्रा में मिली हैं। पहले भी इस जिले के पानी में आर्सेनिक की मात्रा हद से ज्यादा थी। यूरेनियम इतना खतरनाक होता है कि कार्सिनोजेनिक के साथ यह सम्मिश्रण स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। इससे हड्डियों में विषाक्तता और गुर्दे की सक्रियता में खराबी और कैंसर के लिए बड़े खतरे का कारण बन सकता है।
हालांकि इससे पहले भी बिहार के कई जिलों में आर्सेनिक बड़ी मात्रा में पाया जाता था। इस बात का खुलासा हो चुका है। वहीं कुछ रिपोर्ट के मुताबिक गंगा नदी के दक्षिणी एवं उत्तरी जिले में गहरी विषमताएं हैं। इसके दक्षिणी जिले में आमतौर पर यूरेनियम उच्च मात्रा में और आर्सेनिक कम मात्रा में मिलती है, बनिस्बत गंगा के उत्तर के जिलों के।
कई रिसर्च के मुताबिक देखा जा रहा है बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में हाल के दौर में कैंसर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। साथ ही गंगा और सोन के तटवर्ती इलाकों के लोगों में गोल ब्लाडर के कैंसर के मामले बढ़े हैं। इसकी वजह पानी में यूरेनियम की मौजूदगी भी हो सकती है।