17 पायलट्स की कोविड से हुई मौत, फेडरेशन ने फ्रंटलाइन वर्कर्स का माँगा दर्जा
भारत के एयरलाइन पायलटों के एक निकाय ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपने सदस्यों को “फ्रंटलाइन वर्कर” का दर्जा देने की मांग की है, जो टैग के साथ जाने वाले सभी कोविड से संबंधित लाभों की मांग कर रहे हैं.
इसमें प्राथमिकता टीकाकरण, बीमा कवरेज और मुआवजा शामिल है. अपने दावे को मजबूत करने के लिए, फेडरेशन ने पिछले एक साल में इस सेगमेंट में 17 महामारी से संबंधित मौतों का हवाला दिया है – जिनमें से 13 अकेले फरवरी 2021 से हैं.
वंदे भारत मिशन में पायलट्स ने दी सेवाएं
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट द्वारा सात जून को दाखिल याचिका में कहा गया है कि महामारी के दौरान पायलटों ने जरूरी सेवाएं मुहैया कराई हैं. याचिका में कोविड-19 से जान गंवाने वाले पायलटों के परिवारों को 10 करोड़ रुपये मुआवजा देने का केंद्र को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है. याचिका के मुताबिक मार्च 2020 से विभिन्न विमान कंपनियों और पायलटों ने 'वंदे भारत मिशन में भूमिका निभाई और दूसरे देशों में फंसे हुए नागरिकों को वतन लाने का काम किया. महामारी की दूसरी लहर के दौरान चिकित्सकीय सामानों की आपूर्ति में भी पायलटों ने सेवा दी.
बतादें निकाय में एयर इंडिया, स्पाइसजेट, इंडिगो, रिलायंस कमर्शियल, गो एयर, सौदिया और विस्तारा जैसी एयरलाइनों के लिए काम करने वाले 5,619 सदस्य हैं. वहीं अकेले एयर इंडिया में, इस साल फरवरी तक 583 को अस्पताल में भर्ती होने के साथ 1,995 कर्मियों ने सकारात्मक परीक्षण किया था. उस महीने तक एयरलाइन की 16,306 वंदे भारत उड़ानों के माध्यम से 2.21 मिलियन से अधिक यात्रियों को वापस लाया गया था.
पायलट अब चाहते हैं कि सरकार अनुसूचित और गैर-अनुसूचित वंदे भारत उड़ानों का संचालन करने वालों के लिए देय हवाई बीमा को परिभाषित करे.
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