जमशेदपुर की बच्ची ने सवा लाख में बेचे 12 आम, पढ़ाई के लिए व्यापारी ने की मदद
कोरोना की दूसरी लहर ने एक ओर जहां आम आदमी की शारीरिक क्षमता को परखा तो वहीं आर्थिक स्थिति को भी ख़स्ता कर दिया है. इसकी सबसे ज़्यादा मार झेल रहे दैनिक मज़दूरों पर तो मानो यह लहर किसी पहाड़ से टूटने के कम साबित नहीं हुई हैं. वहीं जमशेदपुर निवासी 8 साल की बच्ची के लिए यह आपदा उसकी जुनूनी मेहनत के आगे उसके लिए स्वर्णिम फल के रूप में लेकर आई है.
लॉकडाउन में आम बेच रही थी बच्ची
बतादें तुलसी (8) रविवार को लॉकडाउन के दौरान किननं स्टेडियम के पास आम बेच रही थी. तभी इस मासूम से एक न्यूज चैनल संवाददाता ने पूछा कि शहर में लॉकडाउन है ऐसे में वो बाहर सड़क पर ऐसे आम क्यों बेच रही है. इस पर तुलसी ने बताया कि उसे आगे की पढ़ाई करनी है और पैसे नहीं है, पढ़ाई करने के लिए मोबाइल खरीदना है जिससे पढ़ सकें. तुलसी ने कहा कि पहले मोबाइल की जरूरत नहीं होती थी क्योंकि स्कूल जाते थे. टीचर पढ़ा देते थे, लेकिन कोरोना के चलते स्कूल भी बंद है. सारी पढ़ाई मोबाइल पर ही हो रही है. इसलिए मोबाइल की बहुत जरुरत है.
मुंबई के व्यापारी ने खरीदे आम
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही इस स्टोरी को देखने के बाद वैल्युएबल एडुटेंमेंट कंपनी के वाइस चेयरमैन नरेंद्र हेटे तुलसी कुमारी की मदद को आगे आए. कंपनी के डायरेक्टर और उनके बेटे अमेया हेटे ने तुलसी की मदद की. अमेया हेते ने तुलसी से 12 आम खरीदे और एक आम की कीमत दस हजार रुपये लगाई. इसके हिसाब से उन्होंने तुलसी को 1.20 लाख रुपये का भुगतान किया.
तुलसी को एक मोबाइल फोन और दो साल का इंटरनेट भी मुहैया करवाया गया जिससे वह ऑनलाइन पढ़ाई कर सके और उसे कोई परेशानी न आए. इस दौरान नरेंद्र हेते और उनके पुत्र अमेया ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब तुलसी अपनी पढ़ाई फिर शुरू कर सकेगी.
'भगवान बनकर आए अमेया हेटे'
अमेया हेटे द्वारा बेटी तुलसी की मदद करने से उसके पिता बेहद खुश हैं. तुलसी के पिता श्रीमल कुमार का कहना है कि इस बुरे समय में नरेंद्र उनके लिए भगवान के रूप में आए और अब उनकी बेटी आगे की पढ़ाई कर सकेगी. इस मौके पर तुलसी की मां पद्मिनी देवी ने नरेंद्र हेटे का शुक्रिया अदा किया.
वहीं अब इससे तुलसी बेहद खुश है. उसका कहना है कि अब उन्हें आम नहीं बेचने पड़ेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि उनके आम इतने मीठे होंगे कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी जिंदगी बदल जाएगी.
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