PM Modi In MP: जानिए क्या है महाकाल लोक जिसका प्रधानमंत्री करेंगे लोकार्पण
PM Modi In MP: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उज्जैन में श्री महाकालेश्वर मंदिर में "श्री महाकाल लोक" का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि "श्री महाकाल लोक" एक ऐसा लोक है जहाँ भगवान शंकर के विविध रूप देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा। हमने जो स्वप्न 2017 में देखा था, वह अब साकार हो रहा है। श्री महाकाल महाराज की कृपा प्रदेश और देश में बनी रहे, सबका मंगल और कल्याण हो यही मेरी कामना है। पौराणिक नगरी उज्जैन के वैभव, परम्पराओं, धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को पूरी तरह ध्यान में रखते हुए राज्य शासन द्वारा श्री महाकाल क्षेत्र के समग्र विकास के लिये बनाई गई प्रभावी विकास योजना अब मूर्तरूप ले रही है।
प्रधानमंत्री गरिमामय समारोह में योजना के प्रथम चरण के कार्यों का लोकार्पण करने उज्जैन आ रहे हैं। यह गर्व और सौभाग्य का विषय है।
"बनारस कॉरीडोर" की तर्ज पर बना है "श्री महाकाल लोक"
मुख्यमंत्री श्री चौहान के नेतृत्व में "बनारस कॉरीडोर" की तर्ज पर "श्री महाकाल लोक" बनाया जा रहा है। "श्री महाकाल लोक" क्षेत्र विकास परियोजना की अनुमानित लागत 800 करोड़ रूपये है। योजना के प्रथम चरण में 350 करोड़ रूपये की लागत से भगवान श्री महाकालेश्वर के आँगन में छोटे और बड़े रूद्रसागर, हरसिद्ध मंदिर, चार धाम मंदिर, विक्रम टीला आदि का विकास किया गया है। जिसमें महाकाल प्लाजा, महाकाल कॉरिडोर, मिड-वे झोन, महाकाल थीम पार्क, घाट एवं डैक एरिया, नूतन स्कूल कॉम्पलेक्स और गणेश स्कूल कॉम्पलेक्स का कार्य शामिल हैं। महाकाल कॉरिडोर के प्रथम घटक में पैदल चलने के लिए उपयुक्त 200 मीटर लम्बा मार्ग बनाया गया है। इसमें 25 फीट ऊँची एवं 500 मीटर लम्बी म्युरल वॉल बनाई गई है। साथ ही 108 शिव स्तंभ, शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हो चुके हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। इन स्तंभों में भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप को दर्शाया गया है। महाकाल पथ के किनारे भगवान शिव को दर्शाने वाली धार्मिक मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं। पथ के साथ दीवार चित्र शिव पुराण की कहानियों पर आधारित हैं। लोटस पोंड, ओपन एयर थिएटर तथा लेक फ्रंट एरिया और ई-रिक्शा एवं आकस्मिक वाहनों के लिए मार्ग भी बनाए गए हैं। बड़े रूद्र सागर की झील में स्वच्छ पानी भरा गया है।
साल 2023 में होगा दूसरा चरण
दूसरे चरण के कार्य वर्ष 2023-24 में पूर्ण होंगे। इस चरण में महाराजवाड़ा परिसर का विकास किया जायेगा। जिसमें ऐतिहासिक महाराजवाड़ा भवन का हेरिटेज के रूप में पुनर्पयोग, कुंभ संग्रहालय के रूप में पुराने अवशेषों का समावेश और इस परिसर का महाकाल मंदिर परिसर से एकीकरण किया जायेगा।
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