महाराष्ट्र पॉलिटिक्स: अजित पावर की 1000 करोड़ से ज़्यादा की संपत्ति आयकर विभाग ने ज़ब्त की, अनिल देशमुख के बाद अजित पावर को अल्टिमेटम
महाराष्ट्र में एक-एक कर सभी बड़े मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते जा रहे है। अब इस सूची में एनसीपी के नेता और शरद पवार के भतीजे अजित पवार का नाम जुड़ा है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के पास 90 दिन का समय है, जिसमें उन्हें यह साबित करना होगा कि इंकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा जब्त की गई प्रॉपर्टी बेनामी पैसे से नहीं खरीदी गई है। अजित पवार से पहले ईडी ने महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को गिरफ्तार किया था। मुंबई में इस समय सब कुछ सही नही चल रहा है।
महाअघाड़ी सरकार के तीनो पहिए इस समय मिस-बैलैंस होते जा रहे है। पहले अनिल देशमुख पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापा मार कर उन्हें गिरफ़्तार किया था। अब अजित पवार पर आयकर विभाग का छापा पड़ा है। कुछ ही दिन पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने दावा किया है, कि उनके पास नवाब मलिक के अंडरवर्ल्ड से रिश्तों के सबूत है। वो दिवाली के बाद एनसीपी चीफ शरद पवार को सारे सबूत सौंपेंगे।
मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले में प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने सोमवार को 12 घंटे की लंबी पूछताछ के बाद महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को गिरफ्तार कर लिया है। इस कार्रवाई के बाद अब महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पर इनकम टैक्स ने अपना शिकंजा कसना शुरू किया है। बता दें कि मंगलवार को अजित पवार की एक हजार करोड़ रुपये से अधिक की बेनामी संपत्ति जब्त कर ली गई है।
आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 के अंतर्गत एनसीपी नेता अजित पवार की जिन संपत्तियों को जब्त किया गया है, उनमें दक्षिणी दिल्ली स्थित करीबन 20 करोड़ का फ्लैट शामिल है। इसके अलावा 25 करोड़ रुपये का निर्मल हाउस स्थित पार्थ ऑफिस, 600 करोड़ की जरंदेश्वर शुगर फैक्ट्री और गोवा में 250 करोड़ का रिसोर्ट भी शामिल है। संपत्तियों को जब्त करने के बाद अजित पवार के पास 90 दिन का समय होगा।
जिसमें उन्हें साबित करना होगा कि यह सारी प्रॉपर्टीज बेनामी पैसे से नहीं खरीदी गई है। इंडियन एक्सप्रेस के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक देशमुख को रात लगभग 1.30 बजे धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया। बता दें कि देशमुख इससे पहले ईडी द्वारा भेजे गए पांच समन के बाद भी पूछताछ के लिए शामिल नहीं हुए थे।
हालांकि इसको लेकर उन्होंने कहा था, “मुझे ईडी की तरफ से समन मिला है और मैं इसमें सहयोग कर रहा हूं। लेकिन मीडिया में इसकी गलत रिपोर्टिंग हो रही है। हर समन के बाद, मैंने ईडी को बताया मेरी याचिका कोर्ट में लंबित है। फैसला आने पर ही मैं ईडी के सामने पेश हो जाऊंगा। अनिल देशमुख ने कहा था कि मेरे द्वारा सहयोग ना किये जाने की मीडिया रिपोर्ट गलत है।
बल्कि मेरे स्टाफ और मेरे परिवार ने ईडी की तलाशी के दौरान हमेशा सहयोग किया है।” बता दें कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर ईडी ने आरोप लगाया है कि गृहमंत्री रहते हुए उन्होंने सचिन वाजे की मिलीभगत से “विभिन्न बार मालिकों से लगभग 4.7 करोड़ रुपये अवैध रूप से प्राप्त किया है।
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