मोदी की उपलब्धि: 70 सालों में जितने अकाउंट खुले उतने ही अकाउंट सिर्फ़ पिछले डेढ़ सालों में खुला
स्टॉक मार्केट के बारे में मेरा मानना है, कि जो पिछले दिनों राकेश झुनझुनवाला से मोदी जी की मुलाक़ात हुई उसका एक बहुत तगड़ा सिग्निफ़िकन्स था। आपने एक बात नोटिस की होगी, जिस दिन इन दोनों की मुलाक़ात हुई उसके बाद से काफ़ी दिनों से एक रेंज में घूम रहा निफ़्टी और सेन्सेक्स अचानक वो बाउंड्री तोड़कर एकदम उछलने लगा।
इस बीच में वर्ल्ड हंगर इंडेक्स में भारत के काफ़ी फिसड्डी होने की भी खबर आयी। अब इन बातों को between the lines पढ़ने और समझने की कोशिश करिए।
एक तरफ़ भारत एकनॉमिकल फ़्रंट पर संघर्ष कर रहा है, इस कोविड के चलते करोड़ों लोगों का रोज़गार गया। लेकिन एक बात जो यहाँ बहुत ज़्यादा नोटिसेबल है वो ये कि सिर्फ़ करोना काल में यानि जनवरी 2020 से लेकर अभी तक स्टॉक मार्केट में DMat अकाउंट होल्डर्ज़ की संख्या 2 करोड़ से 4 करोड़ हो गयी है। यानी आज़ादी के बाद पिछले 70 सालों में जितने अकाउंट खुले उतने ही अकाउंट सिर्फ़ पिछले डेढ़ सालों में खुला।
अब अगर चारों तरफ़ से नकारात्मक खबरें आ रही हों तो अगर सिर्फ़ स्टॉक मार्केट को ऊपर रखा जाए तो इन चार करोड़ लोगों और इन चार करोड़ लोगों पर आश्रित कम से कम 15-20 करोड़ लोगों को लाभ पहुँच सकता है और ये लाभ ही देश की आर्थिक स्थिति को चमकाने के लिए काफ़ी होगा। क्यूँकि ये लोग जो स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टेड हैं यही वो लोग हैं जो टेक सेवी हैं। जो सोशल मीडिया में बहुत ज़्यादा ऐक्टिव हैं…और अगर उन्हें लाभ पहुँचेगा तो सोशल मीडिया में सरकार की वाहवाही होगी।