पदयात्रा भारतीय राजनीति में सफलता का अचूक मंत्र है, शायद इसीलिए राहुल गांधी 14 किलोमीटर चलकर वैष्णो देवी गए
राहुल गांधी 14 किलोमीटर चलकर वैष्णो देवी गए। जो नेता इतना पैदल चल सकता है। उसको देशभर में पदयात्रा करनी चाहिए। इस यात्रा के बाद राहुल ने 'जय माता दी' से की भाषण की शुरुआत की और कहा- वैष्णो देवी जाकर लगा, जैसे घर आया हूं।
पदयात्रा भारतीय राजनीति में सफलता का अचूक मंत्र है। महात्मा गांधी से लेकर आखिरी जगनमोहन रेड्डी तक। जितने नेताओं ने पदयात्रा किया 5-6 साल के अंदर अपनी राजनीति के शीर्ष पर पहुंच गए। कभी गांधी जी ने दांडी यात्रा शुरू कर हिला दी थी अंग्रेजी सत्ता की नींव। इस यात्रा ने देश की तकदीर बदल दी थीं।
आंध्र में मृतप्राय कांग्रेस को वाय एस राजशेखर रेड्डी की पदयात्रा ने ज़िंदा किया, चंद्रबाबू नायडू की राजनीति का श्राध्द कर दिया था लोगों ने। 2800 किलोमीटर की पदयात्रा और 2014 में सत्ता में वापसी। जगनमोहन रेड्डी की 340 दिन में 3600 किलोमीटर की प्रजा संकल्प यात्रा ने 175 में से 151 सीट जिता दिया।
इसी पदयात्रा के बदौलत कांशीराम ने दलित राजनीति को उत्तर प्रदेश की राजनीति का हिस्सा बना दिया। राजनीति में पदयात्रा का कितना महत्व है यह तब समझ में आया जब अटल बिहारी वाजपेई की मृत्यु सैया के पीछे पूरी भाजपा पदयात्रा कर रही थी।
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