मन की बात में मोदी ने कहा,"खेलों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न भाषाओँ में कमेन्ट्री की जरुरत"

 
मन की बात में मोदी ने कहा,"खेलों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न भाषाओँ में कमेन्ट्री की जरुरत"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने रेडियो कार्यक्रम 'मन की बात' के जरिए देश को संबोधित किया. संबोधन में उन्होंने कई मुद्दों पर बात की. छात्रों को परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएँ सन्देश दिए. इसी बीच पीएम मोदी ने खेल क्षेत्र का भी जिक्र किया. खासकर कुछ खेलों में हो रही कमेंट्री का उदाहरण देते हुए अपनी बात कही

पीएम मोदी ने कहा, 'हमने देखा है कि जिन खेलों में कमेंट्री समृद्ध है, उनका प्रचार-प्रसार बहुत तेजी से होता है. हमारे यहां भी बहुत से खेल हैं लेकिन उनमें कमेंट्री कल्चर नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में

एक अनोखे क्रिकेट टूर्नामेंट को किया याद

अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुए एक अनोखे क्रिकेट टूर्नामेंट को याद करते हुए उन्होंने कहा, "संस्कृत कॉलेज में एक क्रिकेट टूर्नामेंट खेला गया. इसमें कमेंट्री भी संस्कृत में हुई. इस टूर्नामेंट में खिलाड़ी और कॉमेंटेटर पारंपरिक परिधान में नजर आए"

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कमेन्ट्री के फायदे गिनाएं

कमेंट्री के फायदे गिनाते हुए मोदी ने बताया कि "यदि आपको एनर्जी, एक्ससाइटमेंट, सस्पेंस सब कुछ एक साथ चाहिए तो आपको खेलों की कमेंट्री सुननी चाहिए. टी.वी. आने से बहुत पहले, स्पोर्ट्स कमेंट्री ही वो माध्यम थी, जिसके जरिए क्रिकेट और हॉकी जैसे खेलों का रोमांच देशभर के लोग महसूस करते थे"

खेल मंत्रालय से की ये खास मांग

पीएम ने तमाम उदाहरण के बाद खेल मंत्रालय से एक खास मांग भी की. उन्होंने कहा, "हमारे यहां बहुत से भारतीय खेल हैं लेकिन उनमें कमेंट्री कल्चर नहीं आया है और इस वजह से वो लुप्त होने की स्थिति में हैं. मेरे मन में एक विचार है- क्यों न, अलग-अलग स्पोर्ट्स और विशेषकर भारतीय खेलों की अच्छी कमेंट्री अधिक से अधिक भाषाओं में हो, हमें इसे प्रोत्साहित करने के बारे में जरूर सोचना चाहिए. मैं खेल मंत्रालय और निजी संस्थानों से भारतीय खेलों की अधिक से अधिक भाषाओं में अच्छी कमेंट्री करने पर विचार करने का आग्रह करता हूं"

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