RAM MANDIR: अयोध्या पर नेहरू ने तब जो कहा था, आज हू-ब-हू वही हो रहा है
1949 में जब चुपचाप बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रख दी गईं, तब नेहरू ने कहा था- हम गलत नजीर पेश कर रहे हैं। इसका सीधा असर पूरे भारत और खासकर कश्मीर पर पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा था कि हम हमेशा के लिए एक फसाद खड़ा कर रहे हैं।
पीयूष बबेले की किताब "नेहरू मिथक और सत्य" के मुताबिक ‘‘मैं देखता हूं कि जो लोग कभी कांग्रेस के स्तंभ हुआ करते थे, आज सांप्रदायिकता ने उनके दिलो-दिमाग पर कब्जा कर लिया है। यह एक किस्म का लकवा है, जिसमें मरीज को पता तक नहीं चलता कि वह लकवाग्रस्त है। मस्जिद और मंदिर के मामले में जो कुछ भी अयोध्या में हुआ, वह बहुत बुरा है। लेकिन सबसे बुरी बात यह है कि यह सब चीजें हुईं और हमारे अपने लोगों की मंजूरी से हुईं और वे लगातार यह काम कर रहे हैं।’’
17 April 1950 को नेहरू की कही बात सच साबित हुई। तीन दशक से ऊपर का समय हो गया, जब से राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद भारत में चुनावी राजनीति और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का औजार बना हुआ है। इस मुद्दे ने केंद्रीय राजनीति में उस समय जगह बनाई, जब विवादित स्थल का ताला खुलवाकर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मूर्तियों की पूजा शुरू कराई।
अकेले पड़ गये थे नेहरू
अयोध्या विवाद को लेकर नेहरू की यह टिप्पणी कि संयुक्त प्रांत की सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए, लेकिन असल में किया किसी ने कुछ भी नहीं। नेहरू का यह कहना था कि संयुक्त प्रांत सरकार ने कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की।
पत्र के अंत में यह कहना कि बहुत से कांग्रेस के सदस्य ने भी पाकिस्तान के मुद्दे को लेकर भारत में मुसलमानों के प्रति सांप्रदायिक हो गए थे।
इस बात से पता चलता है कि इस मामले में नेहरू कितने अकेले पड़ गए थे। उनके अपने लोग उनकी सुनने को तैयार नहीं थे। उसके बाद ठीक वही नतीजे अयोध्या के मामले को लेकर सामने आते रहे, जिनकी चेतावनी नेहरू दे रहे थे।