रूपानी का इस्तीफा मतलब मोदी वर्सेज शाह तो नहीं?
गुजरात की राजनीति को जानने वाले जानते है कि विजय रूपाणी, गृह मंत्री अमित शाह का करीबी है। उनको
मुख्यमंत्री बनाने के लिए अमित शाह ने मोदी के नेतृत्व के खिलाफ भी राजनीति की थीं। वर्तमान में गुजरात भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल का नरेंद्र मोदी से करीबी के साथ-साथ संघ के भी प्रिय हैं।
रूपाणी की मोदी की आखिरी मुलाकात 19 मई को गुजरात दौरे पर हुई थी जब दोनों तूफ़ान से प्रभावित राज्य के इलाक़ों का हवाई सर्वे किए थें। इंडिया टुडे की मानें तो इसके बाद मोदी ने सीआर पाटिल के साथ अलग से बैठक की और इससे रूपाणी को दूर रखा गया।
गुजरात की राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार, पाटिल ने संगठन पर कब्जा कर लिया है और वे रूपाणी को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करते हैं। साथ ही राज्य के अन्य कद्दावर नेता प्रदीप सिंह जडेजा, सुरेंद्र पटेल और शंकर चौधरी जैसे दिग्गजों में भी पाटिल को लेकर गहरी नाराजगी है।
वहीं दूसरी तरफ विजय रुपाणी के सीएम के पद से इस्तीफ़े के बाद से लगातार ये बहस चल रही है कि बीजेपी चुनाव से पहले सीएम क्यों बदल देती है। रुपाणी की तरह 2017 गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले आनंदीबेन पटेल को बदल दिया गया था। दरअसल ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है।
सत्ता विरोधी हालात से निपटने के लिए पार्टी हमेशा से ऐसा करती रही है। 1998 में दिल्ली विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले बीजेपी ने साहिब सिंह वर्मा को हटा कर सुषमा स्वराज को सीएम बना दिया था। 2001 में केशुभाई पटेल को हटा कर पार्टी ने नरेंद्र मोदी को सीएम बना दिया था।
हर चुनाव में, हर राज्य में यही फ़ार्मूला नहीं लागू होता हैं। अगले ही साल होने वाले चुनाव में बीजेपी ने योगीआदित्यनाथ के चेहरे के साथ जाने का फ़ैसला लिया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव देवेंद्र फडणवीस बीजेपी का चेहरा थे। इसलिए चुनाव से पहले रुपाणी का सीएम पद से हटना कोई चौंकाने वाली खबर नहीं है। कुछ ही महीने पहले तो बीजेपी ने कर्नाटक में बीजेपी ने येदियुरप्पा को सीएम के पद से हटा दिया था। इस तरह के बदलाव बताते हैं कि बीजेपी लगातार गतिशील मुद्रा में है।
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