Shaheed Diwas 2022: आज के दिन भारत माँ के वीर सपूतों को दी गई थी फांसी, पढ़े कुछ अनसुने तथ्य

  
Shaheed Diwas 2022: आज के दिन भारत माँ के वीर सपूतों को दी गई थी फांसी, पढ़े कुछ अनसुने तथ्य

Shaheed Diwas 2022: आज अखंड भारत के लिए गर्व और गमगीन दोनों दिन है. आज ही के दिन भारत माँ के 3 शूरवीरों को वीरगति प्राप्त हुई थी. यह तीन शूरवीर वो है जिनकी गाथा सुन प्रत्येक राष्ट्रभक्त का सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा. लेकिन उसकी आँखें ज़रूर भीगी होगी. तो चलिए आज आपको भगत सिंह (Bhagat Singh), सुखदेव (Sukhdev), राजगुरु (RajGuru) से जुड़ी कुछ अनसुनी कहानी बताते है.

लाखों हुए थे बलिदान तब मिला था जीवनदान

अंग्रेजो की 200 सालों की गुलामी के बाद भारत ने 1947 में अंग्रेजों से आज़ादी छीन ली थी. लेकिन यह आजादी इतनी आसान थी? बिल्कुल भी नहीं. भारत को आजाद करवाने के लिए भारत माता के कई लाख सपूतों ने अपने प्राणो को देश पर न्योछावर कर दिया था. इन कुर्बानियों और वीरों को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत शहीद दिवस (Martyr's Day) मनाता है. लाखों लोग बलिदान हुए थे, तब हमें जीवनदान मिला था.

क्यों मनाते है हम शहीद दिवस ?

23 मार्च को तीन स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ा दिया था. बेहद कम उम्र में इन वीरों ने लोगों के कल्याण के लिए लड़ाई लड़ी और इसी उद्देश्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. कई युवा भारतीयों के लिए भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव प्रेरणा के स्रोत बने हैं.

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को इस कारण से दी थी फांसी ?

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने साल 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इसके बाद भगत सिंह और बीके दत्त (बटुकेश्वर दत्त) ने 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे. बम फेंकने के बाद वहीं पर इन दोनों ने गिरफ्तारी दी थी.

इसके बाद करीब 2 साल तक जेल में रहना पड़ा था. जिसके बाद उन्हें फांसी दे दी गई थी. अंग्रेज़ी शासन के दौरान भी, उनके बलिदान ने कई लोगों को आगे आने और अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया. यही कारण है कि इन तीनों क्रांतिकारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत 23 मार्च को शहीद दिवस के रूप में मनाता है.

23 मार्च क्यों है विशेष ?

देश और दुनिया के इतिहास में वैसे तो कई महत्वपूर्ण घटनाएं 23 मार्च की तारीख पर दर्ज हैं, पर क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज इस दिन की सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है. भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान साल 1931 में क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को 23 मार्च को फांसी दी गई थी.

पंजाब में आज दिन सरकारी अवकाश का ऐलान

पंजाब के नए नवेले और पहली बार मुख्यमंत्री बने भगवंत मान (Bhagwant Mann) को शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस पर सरकारी अवकाश का ऐलान किया है. उन्होंने शहीद दिवस के दिन पंजाब में सरकारी छुट्टी का ऐलान भी कर लोगों को इन वीर सपूतों के लिए जागरुक करने का भी ऐलान किया है.

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https://youtu.be/mAK3eeMdy6Q

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