कहानी: Vinod Dua की पत्रकारिता पर जब अमेरिकन पत्रकार ने लिखा भारतीय मीडिया,यूरोप की Media से ज्यादा स्वतंत्र है।
38 साल पहले की बात थी। निस्संदेह वह 21 वीं सदी के भारत की बात नही थी। राजीव गांधी नए -नए प्रधानमंत्री बने थे। देश का मीडिया राजीव जी के साथ बेहद गहराई से जुड़ा हुआ था इस जुड़ाव का मतलब दलाली या भ्रष्टाचार करना नही एक दूसरे को खुल कर काम करने की आजादी देना था।
फिर क्या था दूरदर्शन पर एमजे अकबर के "न्यूज़ लाइन" का प्रसारण शुरू हो गया जिसमें खुद Congress द्वारा शासित तीन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की घोषणाओं और अमल के बीच की गहरी खाई का पर्दाफाश किया गया। एक मुख्यमंत्री के रिश्तेदार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर किया गया।
ठीक इसी वक्त विनोद दुआ की जनवाणी शुरू हुई विनोद जी केंद्रीय मंत्रियों का सार्वजनिक तौर से खाट खड़ी कर रहे थे। आजकल, फोकस जैसे कार्यक्रम आए जिसमें दिल्ली में फैले हैजे से हुई मौतों और उड़ीसा के कालाहांडी में भूख सी हुई मौतों पर साहसिक कार्यक्रम दिखाए गए। एक अमेरिकन पत्रकार ने उस वक्त अपनी डायरी में लिखा भारत का मीडिया,यूरोप की Media से ज्यादा स्वतंत्र है।
वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी लिखते हैं कि, Vinod Dua और उनके समकालीन पत्रकारों ने स्व राजीव गांधी के कार्यकाल का वह समय देखा है जब पत्रकारिता के सामने सत्ता की आंख हमेशा झुकी रहती थी। पत्रकार सड़क पर निकलता था तो हीरो की तरह निकलता था वह स्क्रीन पर दिखता था तो लोग दिल थाम लेते थे। खबरों से सरकार अपनी नीतियां और जवाबदेही तय करती थी। हमे वह दौर बहुत याद आता है।