Article 39B India: क्या सरकार आपकी जमीन ले सकती है? 9 जजों की बेंच का ऐतिहासिक फैसला

 
Article 39B India: क्या सरकार आपकी जमीन ले सकती है? 9 जजों की बेंच का ऐतिहासिक फैसला

Article 39B India: क्या सरकार किसी व्यक्ति या समुदाय की निजी संपत्ति को समाज की भलाई के लिए अपने नियंत्रण में ले सकती है? इस विवाद पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में 9 जजों की बेंच ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया।

फैसले का मुख्य बिंदु

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सरकार हर एक निजी संपत्ति को अपने नियंत्रण में नहीं ले सकती। सरकार केवल उन संसाधनों का अधिग्रहण कर सकती है जो समाज की भलाई के लिए हैं और समुदाय के पास हैं। यह फैसला 7-2 के बहुमत से सुनाया गया।

अतीत के प्रमुख मामले

इससे पहले, 1977 में 'कर्नाटक सरकार बनाम रंगनाथ रेड्डी' मामले में 7 जजों की पीठ ने कहा था कि निजी संपत्ति को 'समुदाय का संसाधन' नहीं माना जा सकता। इसके बाद, 1983 में 'संजीव कोक मैन्युफैक्चरिंग कंपनी बनाम भारत कोकिंग कोल' मामले में 5 जजों की पीठ ने केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण को सही ठहराया था।

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हालिया विवाद कैसे शुरू हुआ?

हाल का मामला महाराष्ट्र सरकार के 1976 के कानून से जुड़ा है, जिसके अंतर्गत पुरानी इमारतों से जुड़ी समस्या को हल करने के लिए संशोधन किए गए थे। 1986 में किए गए इन संशोधनों के तहत, सरकार को उन इमारतों और जमीनों का अधिग्रहण करने का अधिकार मिला, जहां 70% किरायेदारों ने अधिग्रहण का अनुरोध किया।

इस संशोधन के खिलाफ मुंबई के मकान मालिकों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे अस्वीकार कर दिया। इसके बाद, 1992 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहाँ यह सवाल उठा कि क्या अनुच्छेद 39बी के तहत निजी संपत्ति को 'समुदाय का संसाधन' माना जा सकता है या नहीं।

मामला कैसे आगे बढ़ा?

2001 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की और इसे एक बड़ी बेंच के सामने भेजा। पिछले साल भी 7 जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की लेकिन इसे 9 जजों के पास भेजने का निर्णय लिया।

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