देश का सबसे बड़ा हीरो वामपंथी था
सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश का सबसे बड़ा हीरो कौन है? शाहरुख,आमिर, विराट ना ना देश के युवाओं ने माना है की सबसे बड़ा हीरो भगत सिंह है। कुछ बताते हैं भगत सिंह के बारे में
भगत सिंह टेरो-कम्युनिज़्म से साइंटिफिक कम्युनिज़्म की तरफ बढ़े। बाकूनिन से प्रभावित होते हुए लेनिन की तरफ बढ़े। वह लगातार खूब किताबें पढ़ रहे थे। किताबों से इतनी मोहब्बत थी कि अंत वक्त भी किताब ही पढ़ते रहें।
आज से तकरीबन सौ साल पहले भगत सिंह जो सोच, लिख और बोल रहे थे, वैसा कुछ खुलेआम करने में आज भी हमारी प्रगतिशीलता की घिग्घी बंध जाएगी।
भारत के ऐसे युवा जो केवल उनकी बंदूक से प्रभावित हो रहे हैं, और किताबों को नज़रंदाज़ कर रहे हैं तो आप इस क्रांतिकारी लड़ाई और क्रांतिकारी विरासत को धोखा दे रहे हैं। भगत का क्रांतिकारी बनने में पिस्तौल से अधिक मदद किताबों ने ही की है भगत सिंह की। उनके बारे में द्वारिका दास लाइब्रेरी के लाइब्रेरियन ने कहा कि भगत सिंह किताबें पढ़ते नहीं, बल्कि निगल जाते थे।
बम और पिस्तौल क्रांति नहीं लाते, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है। यह बात हम जितनी जल्दी समझ जाएं, उतना अच्छा। आप क्रांति में अपना ठोस योगदान तभी दे सकते हैं जब आप अच्छा पढ़ रहे हैं और लड़ रहे हैं।
यह कहते हुए बिल्कुल भी संकोच मत करिए कि वह व्यक्ति जो हमारे देश का हीरो है, वह वामपंथी था, वही पंथ जिसे आज हमारे देश और विश्व की पूँजीवादी व्यवस्था एक खतरा मानती है। पता नहीं क्यों पढ़े-लिखे लोग खतरनाक होते हैं।