कन्हैया की कांग्रेस में जाने की पूरी कहानी,जानिए किन बड़े नेता का हाथ है?

 
कन्हैया की कांग्रेस में जाने की पूरी कहानी,जानिए किन बड़े नेता का हाथ है?

कन्हैया के कांग्रेस में जाने के प्रकरण में कब जाएगा कैसे जाएगा क्या डील है पर तो खूब चर्चा हो रही। कन्हैया की सीपीआई से कैसे दूरी बनी?

बात शुरू होती है लोकसभा चुनाव 2019 के चंदे से। कन्हैया ने क्राउडफंडिंग से 70 लाख से ज़्यादा रुपये जुटाए थे। पार्टी का मत था कि पैसे पार्टी कोष में लिए जाएं और पार्टी अपने सभी उम्मीदवार को फंड एलॉट करे (आख़िर कम्युनिज़्म भी तो यही कहता है धन और धरती बंट कर रहेगी। बस कॉमरेड ने उसमें जोड़ दिया अपना अपना छोड़कर। और क्राउड फंड से जमा हुआ पैसा सिर्फ एक सीट पर इस्तेमाल हुआ)।

फिर चुनाव बाद पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। उसमें सभी उम्मीदवारों से चुनाव खर्च और चंदे का ब्यौरा मांगा गया। देश भर में जहाँ जहाँ सीपीआई के कैंडिडेट थे सबने दिया। एक को छोड़कर। कार्यकारिणी में कार्रवाई की मांग उठी लेकिन डी राजा ने बीच बचाव किया और कार्रवाई नहीं की गई।

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फास्ट फॉरवर्ड कर के चलते हैं दिसम्बर 2020 में। 1 दिसम्बर को सीपीआई के प्रदेश कार्यालय पटना में बेगूसराय ज़िला यूनिट का कोई कार्यक्रम था। कॉमरेड में आमंत्रित थे। अंतिम समय में किसी वजह से कार्यक्रम टल गया। लेकिन कॉमरेड तब तक कार्यक्रम स्थल पर पहुंच चुके थे। फिर क्या। समय बर्बाद करवाने को लेकर ऑफिस सेक्रेटरी इंदु भूषण से नोक झोंक हुई। कॉमरेड के समर्थकों ने इंदु भूषण साथ हाथापाई किए और ऑफिस परिसर में जमकर बवाल काटा गया।

कन्हैया की कांग्रेस में जाने की पूरी कहानी,जानिए किन बड़े नेता का हाथ है?

31 जनवरी 2021 को हैदराबाद में CPI के नेशनल काउंसिल की मीटिंग हुई। वहां नेशनल काउंसिल ने कॉमरेड के ख़िलाफ़ निंदा प्रस्ताव पास किया। 15 फरवरी को कॉमरेड मिले जदयू के सीनियर नेता और मंत्री अशोक चौधरी से। आधिकारिक बयान आया कि क्षेत्र के विकास कार्यों के संदर्भ में मुलाकात करने गए थे।

बाकी जो बिहार की राजनीति फॉलो करते हैं उनको पता है कि 2020 चुनाव के बाद अशोक चौधरी जदयू में किस रोल में हैं। बसपा विधायक ज़मा खान और लोजपा के राजकुमार सिंह की भी मुलाकात अशोक चौधरी से हुई थी। हफ्ते भर के अंदर दोनों जदयू में शामिल हो गए।

https://youtu.be/K4fzHwYOpDU

ख़ैर जदयू में बात नहीं बनी। कुछ इनकी मांग और कुछ जदयू पर भाजपा का दबाव। मामला चला गया ठंडे बस्ते में। फिर हार्दिक पटेल और कटिहार के कदवा से विधायक JNUSU के एक और पूर्व प्रेसिडेंट शकील अहमद खान से मिले। और उनके माध्यम से कांग्रेस आलाकमान से मिले। बाकी सब तो मीडिया में है ही।

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