कन्हैया को जस्टिफाई करने वाले और सिंधिया को गरियाने वाले एक ही प्रकार के लोग है, पढ़िए पूरी स्टोरी
सिंधिया ने क्या ग़लत किया था? जितिन प्रसाद ने क्या ग़लत किया था? अल्पेश ठाकुर ने क्या ग़लत किया था? फ़ातमी ने क्या ग़लत किया था? उपरोक्त सभी ने तो वही किया था जो काम कन्हैया ने किया है। कन्हैया को जस्टिफाई करने वाले और सिंधिया को गरियाने वाले एक ही प्रकार के लोग है।
मुझें इस बात को लेकर संतोष है कि कन्हैया के प्रति मेरा जो विचार 2012 में था वही 2016, 2019 और आज भी वही विचार है। जो लोग उसे शुरुआत के दिनों से जानते है उसे बिल्कुल हैरत नहीं होगी। वैसे जेनएयू के छात्रों से एक अनुरोध है कि जब राजनीति काँग्रेस में ही करनी है तो सीधें काँग्रेस के छात्रसंघ NSUI को ही क्यों नहीं चुन लेते हो ताकि शकील अहमद खान, कन्हैया कुमार और मोहित पांडेय की तरह पलटी मारने की नौबत ही नहीं पड़े।
सच्चाई तो यही है कि कम्युनिस्ट पार्टी को डुबाने में ऐसे ही लोगों का हाथ रहा है जो ट्रेनिंग तो कम्युनिस्ट पार्टी में लेते है और जब फल काटने या विस्तार करने का समय आता है तब पलटी मार निकल जाते है। वैसे कन्हैया के लिए इसके सिवा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं था। क्योंकि सीपीआई को खड़ी करने में संघर्ष की जरूरत थी और उसमें संघर्ष की इतनी क्षमता थी नहीं जितनी मीडिया ने दिखाया था। वह हमेशा से दूसरों के संघर्ष में उँगली कटाकर शहीद होता आया है। चाहे 2016 को जेएनयू काण्ड रहे या फिर अटेंडेंस की लड़ाई वाला मामला रहे है।