UP ELECTION 2022: मुलायम सिंह यादव की इस पुत्रवधु ने याद दिलाया चाचा का समाजवादी पार्टी में अमूल्य योग्यदान, पुलिस से खाया था थप्पड़
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का परिवार 2017 से ही बिखरने लगा था। पूर्व सीएम अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव के बीच का झगड़ा भी जग ज़ाहिर है। तभी शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग हो कर अपनी नई प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर दिया था। जिससे चाचा-भतीजे के बीच खूब लड़ाई हुई। मुलायम सिंह यादव को भी पुत्रमोह में भाई का साथ छोड़ना पड़ा था।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुलायम सिंह यादव के परिवार का खासा महत्व है। इस परिवार के लगभग सभी लोग राजनीति में सक्रिय हैं। परिवार की सबसे छोटी बहू अपर्णा यादव भी अपने बयानों के जरिए अक्सर ही सुर्खियों में रहती हैं। हाल में ही दिए गए एक इंटरव्यू में अपर्णा परिवार और पार्टी के संघर्ष के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।
एबीपी न्यूज़ के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी अखिलेश और मुलायम दोनों से बात होती है। पिछले कुछ समय से मुलायम की तबीयत ठीक नहीं है इसलिए उनसे बातें कम हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि वो आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनना चाहती हैं। लेकिन इसका फैसला मुलायम और अखिलेश ही करेंगे। उन्होंने कहा कि अब तक टिकट को लेकर अखिलेश यादव से उनकी कोई बात नहीं हुई है।
अपर्णा ने कहा कि मैं चाहती हूं कि दोनों एक होकर चुनाव लड़ें। अपर्णा ने कहा, शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह थे। अगर वह सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी को निश्चित रूप से फायदा होगा। अपर्णा ने बताया कि शिवपाल हमेशा मुलायम के साथ खड़े रहे। एक बार वह बचने के लिए बोरे में छिप गए थे और लाठियां खाईं थीं। यहां तक कि एक पुलिस इंस्पेक्टर ने उन्हें एक बार थप्पड़ मार दिया था। उन्होंने पार्टी के लिए बहुत संघर्ष किए हैं। लेकिन अखिलेश यादव की इच्छा पर ही गठबंधन का फैसला होगा।
क्या अपर्णा बनेंगी दोनों नेताओं को मिलाने की धुरी? – अपर्णा ने कहा कि मैंने दोनों लोगों को मिलाने की कोशिश की है, लेकिन उन्हें ही इसका भुक्तभोगी बनना पड़ा। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनाव 2017 में उन पर गलत टिप्पणी की गई थी, जिससे बेहद ठेस पहुंची थी। उस चुनाव ने बहुत कुछ सिखाया भी है। बकौल अपर्णा, मैं पिछला चुनाव जीत सकती थी लेकिन पार्टी के बीच हुए बिखराव के कारण मुझे हार का सामना करना पड़ा था।
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