वायरल फैक्ट: अंग्रेज सावरकर को ₹60 महीना पेंशन देते थे?
'अंग्रेज सावरकर को ₹60 महीना पेंशन देते थे?' सोशल मीडिया पर सावरकर के बारे में यह वायरल हो रहा है। चलिए जानते हैं सच क्या हैं:
अंग्रेजो ने सावरकर को रत्नागिरी जेल में 5 साल तक कैद किया था उन्हें एक राजनीतिक बंदी के तौर पर जेल में रखा गया था। जेल से रिहा होने के बाद सावरकर को रत्नागिरी में ही रहने को कहा गया था। अंग्रेज उन पर नजर रखते थे। उनकी सारी डिग्रीयां और संपत्ति जब्त कर ली गई थी। ऐसे राज बंदियों को जिन्हें कंडीशनल रिलीज मिलती थी उन सभी को पेंशन दी जाती थी। उस समय अंग्रेजों का ये था कि हम आपको काम करने की छूट नहीं देंगे, आपकी देखभाल हम करेंगे।
उस जमाने में कम से कम 3000 से ज्यादा राज बंदियों को कुछ सालों तक यानी जब तक अंग्रेजों ने उनकी डिग्री और उनके काम करने के अधिकार पर रोक लगाई थी। तब तक उन्हें गुजारा करने के लिए एक रकम देती थी और यह रकम कांग्रेस के नेता मदन मोहन मालवीय को भी मिलती थी जब उन्हें काम करने पर रोक लगाई गई थी।
लेकिन कांग्रेसी कुत्ते आपको यह बात नहीं बताते कि विनायक दामोदर सावरकर पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज से मास्टर ऑफ लॉ की डिग्री लिए थे लेकिन उन्होंने कभी वकालत नहीं किया क्योंकि उस जमाने में वकालत करने के पहले अंग्रेजी शासन।
अंग्रेजी क्राउन के प्रति वफादारी की शपथ लेनी पड़ती थी और अंग्रेजी क्रॉउन और अंग्रेजी शासन के वफादारी के प्रति शपथ मोहम्मद अली जिन्ना मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल नेहरू जैसे हजारों कांग्रेसियों ने ली थी और वकालत का पेशा करते थे