क्या थी चमार रेजीमेंट, क्यों भंग हुई? उसे दोबारा क्यों नहीं बनाया गया?
भारतीय सेना में सिख रेजीमेंट और राजपूत रेजीमेंट की तरह ही पहले अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट और चमार रेजिमेंट भी हुआ करती थी। यह बात आजादी से पहले की है। अब फिर से 'अहीर बख्तरबंद रेजिमेंट' और चमार रेजीमेंट को बनाने का प्रयास विपक्षी पार्टी के नेता कर रहे हैं।
चमार रेजीमेंट पर रिसर्च कर रहे सतनाम सिंह के अनुसार दूसरे विश्वयुद्ध के समय अंग्रेज सरकार ने चमार रेजीमेंट बनाई थी, जो 1943 से 1946 यानी सिर्फ तीन साल ही अस्तित्व में रही।
एक तरफ जहां अहीर कंपनी 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान रेजांग ला की लड़ाई में अदम्य साहस और शौर्य का परिचय दिया था वहीं दूसरी तरफ चमार रेजीमेंट ने आजाद हिंद फौज के लिए अंग्रेजों से विद्रोह कर दिया था और द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था।
दूसरे विश्व युद्ध में दलितों की तीन रेजिमेंट ब्रिटिश इंडियन आर्मी में थीं। जिसमें महार रेजिमेंट, मजहबी और रामदसिया रेजिमेंट और चमार रेजिमेंट शामिल थे।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद जहां महार रेजिमेंट को बनाए रखा ,वहीं मजहबी एंड रामदसिया रेजिमेंट का नाम बदलकर सिख लाइट इनफेंट्री कर दिया और चमार रेजिमेंट को 1946 में भंग कर दिया गया। इस रेजीमेंट ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध कर उनके दांत खट्टे किए और देश में विद्रोह की लहर उठी थी।