देश के खिलाफ षड़यंत्र रचने पर भी मात्र पांच साल के लिए ही क्यों बैन हुआ PFI? समझिए कानूनी दांव-पेच
देश के खिलाफ षड़यंत्र रचने वाले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) संगठन को सरकार ने पांच साल के लिए पूरी तरह से बैन कर दिया है. वहीं अब इन के ऑफिसों पर भी ताले लगने शुरू हो गए हैं. साथ ही ठिकाने के बाहर लगे होर्डिंग को भी उतारा जाने लगा है. वहीं लोगों के मन में एक सवाल उठा रहा है कि जब देश विरोधी है ये संगठन तो इसे केवल पांच साल के लिए ही क्यों बैन किया गया तो आइए समझते हैं कि क्या है इसके पीछे के कानूनी दांव-पेच...
गृह मंत्रालय द्वारा आज सुबह पीएफआई पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया. इस आदेश के बारे में बारिकी से बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने बताया है कि 'अभी एनआईए की प्रारंभिक जांच के आधार पर गृह मंत्रालय ने ये आदेश जारी किया है. अभी इसकी जांच जारी है और चार्जशीट फाइल होनी है.
'सरकार इन संगठनों पर हमेशा के लिए कर सकती है बैन'
फिर वह आगे कहते हैं कि 'प्रारंभिक जांच में कई अहम सबूत मिले, कई लोगों ने गवाही दी, जिसके आधार पर एक ये बड़ा एक्शन हुआ है. आगे चार्जशीट फाइल करते समय सरकार इन संगठनों पर हमेशा के लिए पाबंदी लगा सकती है. लेकिन ये भी सबूत के आधार पर ही होगा.' इसलिए फिलहाल देश विरोधी हो रही सारी गतिविधियों पर रोक लगाकर इसे बैन कर दिया गया है.
'पांच साल होते हैं बहुत महत्वपूर्ण'
अंत में अधिवक्ता अश्विनी ने बताया है कि 'किसी भी संगठन को खत्म करने के लिए शुरुआती पांच साल बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. इन पांच साल में अगर सही से कानूनी शिकंजा कसता है तो इस संगठन के सभी गलत लोगों का तार कट जाएगा, जो सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी'.
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