Crackers Pollution: दिवाली पर पॉल्यूशन का बढ़ा खतरा! इन बीमारियों के हो सकते हैं शिकार, ऐसे करें बचाव

 
Crackers Pollution: दिवाली पर पॉल्यूशन का बढ़ा खतरा! इन बीमारियों के हो सकते हैं शिकार, ऐसे करें बचाव

Air Pollution: देश भर के लोग दिवाली की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन वायु गुणवत्ता की समस्या भी सामने आ रही है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में व्यापक वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शाम को 266 पर पहुंच गया। त्योहार पर पटाखे फोड़ने पर बैन है और लोगों को नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माना भी देना पड़ेगा। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण इन दिनों पहले से ही हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। ऐसे में दीवाली में पटाखे जलाने से प्रदूषण ज्यादा बढ़ जाएगा, जो सेहत पर भारी पड़ सकता है। बच्चों, बुजुर्गों व पहले से ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), अस्थमा, ब्लड प्रेशर, हृदय की बीमारियों सहित विभिन्न रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए यह घातक भी साबित हो सकता है।

फेफड़ों की समस्याओं का खतरा

वायु प्रदूषण को केवल फेफड़ों की समस्याओं से जोड़ कर देखा जाता है क्योंकि इससे अस्थमा के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है, लेकिन लोग अक्सर इस सिद्ध तथ्य को नजरअंदाज कर देते हैं कि वायु प्रदूषण से हृदय की क्षति होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए हमें इसे अनदेखा नहीं करना चाहिए। वायु प्रदूषण हृदय की धमनियों में सूजन पैदा करता है और हृदय को नुकसान पहुंचाता है।

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बचाव का तरीका

  • हम आने वाले दिनों में त्योहारों के कारण सबसे खराब माहौल देखने जा रहे हैं, मुझे लगता है कि यह महसूस करने का समय है कि इसका ध्यान रखना होगा। दीवाली के अवसर पर पटाखे जलेंगे और अभी तक हमारे पास पराली जलाने से रोकने के लिए कोई समाधान या दिशानिर्देश या नीतियां भी नहीं हैं। ऐसे में ये सभी फेफड़ों की बीमारियों और दिल के दौरे या दिल से संबंधित बीमारी का कारण बनेंगे।"
  • सुबह प्रदूषण अधिक रहने लगा है। इसलिए सांस व हृदय की बीमारियों से पीड़ित लोग सुबह में सैर न करें। प्रदूषण में सुबह की सैर खतरनाक साबित हो सकती है।आतिशबाजी के दौरान कमरे व घर की खिड़कियों को ठीक से बंद करके रखें। घर में ही रहें।
  • घर से बाहर जाना जरूरी हो तो एन-95 मास्क का इस्तेमाल करें और अपनी दवाएं नियमित रूप से लेते रहें। 
  • दीवाली में आतिशबाजी के कारण हर साल हवा की गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाती है। इसके बाद कई दिनों तक यह समस्या बनी रहती है।
  • यदि संभव हो तो पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोग दिल्ली से बाहर ऐसी जगह पर चले जाएं, जहां आबादी कम है।

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