Chardham Yatra और छोटा चारधाम में क्या है अंतर? ये बातें बिल्कुल नहीं जानते होंगे आप...
Chardham Yatra की शुरूआत हो चुकी है। हममे से ज्यादातर लोग तो यही जानते हैं कि उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ धाम, केदारनाथ धाम, गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम की यात्रा को ही चार धाम की यात्रा मानते हैं लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। सच तो यह है कि उत्तराखंड के इन चारों धामों में केवल बद्रीनाथ का मंदिर ही एकलौता धाम आता है।
तो फिर बाकी के तीन धाम कौन से है? तो आपको बता दें कि उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम के अलावा बाकी धामों में गंगोत्री और यमुनोत्री धाम नहीं है। बल्कि ये धाम उत्तराखंड राज्य द्वारा विकसित धार्मिक स्थल है इसलिए इन्हें छोटा चारधाम का नाम दिया गया था।
हिन्दू धर्म के अनुसार उत्तराखण्ड में केवल चार प्रमुख धामों में से एक धाम, यानी भगवान बद्रीनाथ जी का मंदिर ही एक प्रमुख धाम है। जबकि केदारनाथ जी के मंदिर को तो भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।
कहां है चारधाम
उत्तराखंड के इन चारों धामों में से केवल भगवान बद्रीनाथ का मंदिर ही एक धाम माना जाता है। तो फिर यहां ये भी जान लेना भी जरूरी है कि असल में वे चार धाम कौन से हैं जो सनातन हिन्दू धर्म के लिए सबसे बड़े तीर्थों में आते हैं। दरअसल ये चार प्रमुख धाम – बद्रीनाथ (उत्तराखण्ड), द्वारका (गुजरात), जगन्नाथ पुरी (उड़ीसा) और रामेश्वरम ( तमिलनाडु) हैं जो सनातन हिन्दू धर्म के लिए सबसे बड़े तीर्थ हैं।
छोटा चारधाम यात्रा में हुए कई बदलाव
सन 1962 से पहले तक यहां के किसी भी धाम की यात्रा करना बहुत ज्यादा कठिन होता था, यात्री जान हथेली पर रखकर यहां आते थे। लेकिन, सन 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध के समय जैसे-जैसे यहां से सैनिकों की आवाजाही बढ़ी वैसे ही तीर्थयात्रियों के लिए भी उन रास्तों से जाना-आना कुछ-कुछ आसान होता गया। हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए यह एक सबसे खास तीर्थस्थान के रूप में उभरता गया।
छोटा नहीं 'हिमालय की चार धाम यात्रा’
कहा जाता है कि सन 1962 के इस बदलाव के बाद, यहां आने वाले यात्रियों के मन में किसी भी तरह का भ्रम ना रहे इसलिए, यहां के तीर्थ स्थानों से जुड़ा ‘छोटा’ शब्द हटा दिया गया और इसे ‘हिमालय की Chardham Yatra’ के नाम से पुकारा जाने लगा। अब तो आवागमन के साधन में सुधार होने के साथ ही धीरे-धीरे उत्तराखण्ड की ये यात्रा ना सिर्फ भारत के हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए बल्कि दुनियाभर के सनातन प्रेमियों के लिए यहां के ये धाम प्रमुख तीर्थ बन चुके हैं।
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