International Yoga Day:  इन 4 योगासन से ब्लड सर्कुलेशन होगा बेहतर, जानिए करने का तरीका  

 
International Yoga Day:  इन 4 योगासन से ब्लड सर्कुलेशन होगा बेहतर, जानिए करने का तरीका  

International Yoga Day: हर साल 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। यह दिन साल का सबसे बड़ा दिन होता है। पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2015 में मनाया गया था। इसके पहल भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने एक भाषण से की थी। जिसके बाद से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया था। आइए आपको बताते हैं ऐसे चार योगासन जिन्हें करके आपका ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होगा।

ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर करने वाले योगासन

1. वृक्षासन

 वृक्षासन योग का एक सबसे आसान रूप है। वृक्षासन में ‘वृक्ष’ का अर्थ है पेड़ और ‘आसन’ का अर्थ है शरीर की मुद्रा। इस आसन में आप एक पेड़ की मुद्रा में होते है। वृक्षासन से बॉडी में संतुलन बना रहता है। वृक्षासन की शुरुआत समस्थिति में खड़े होकर करें। इस आसन में अपने घुटनों को मोड़ें नहीं। अपनी बॉडी का बैलेंस बनाये रखें और अपने पैर को घुटने से मोड़कर इसका तलवा उल्टे पैर की जांघ पर रखें और अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए सीधा रखें। इसके बाद अपनी हथेलियों को प्रणाम मुद्रा में लाएं। इस अवस्था में अपनी बॉडी को एक मिनट के लिए रोके।

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2. ताड़ासन

ताड़ासन में आपको अपने पैरों को थोड़ी दूरी पर रखकर खड़े हो जाना होता है। उसके बाद अपने पैरों की उंगलिया बाहर की ओर रखें। उसके बाद अपने कंधों को चौड़ा और रिलैक्स रखें। अपनी ठोड़ी को फर्श के समानांतर रखे और नजरों को सामने। उसके बाद अपने दोनों हाथों को अपने सिर के ऊपर उठाएं। इस दौरान आपके कंधों को रिलैक्स मिलेगा। इस आसन में अपनी बॉडी को एक मिनट तक रखें।

3. अधोमुख श्वानासन

अधोमुख श्वानासन का अर्थ है अधोमुख’ जिसका अर्थ होता है नीचे की तरफ मुंह करना और ‘श्वान’ जिसका अर्थ कुत्ता होता है। ‘आसन’ जिसका अर्थ है बैठना। अधोमुख श्वानासन की सबसे बड़ी खूबी यही है कि इसके आसन प्रकृति में पाई जाने वाली मुद्राओं और आकृतियों से प्रभावित होते है। योग विज्ञान ने अधोमुख श्वानासन को कुत्ते या श्वान से सीखा है।

International Yoga Day:  इन 4 योगासन से ब्लड सर्कुलेशन होगा बेहतर, जानिए करने का तरीका  
image credit pixabay

4. कपाल भाती

कपालभाति दो शब्दों से मिलकर बना है ‘कपाल’ यानी ‘माथा/ललाट’ और ‘भाति’ जिसका अर्थ है ‘तेज’। कपालभाति एक योगासन है कपालभाति में तेजी से सांस छोड़ने की प्रक्रिया की जाती है। इस प्रक्रिया से बहुत सारी बीमारियों का इलाज हो सकता है। कपालभाति करने से शरीर के सभी अंग सही प्रकार से कार्य करने में सक्षम होते है साथ ही इससे खून को शुद्ध करने में भी मदद मिलती है।

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