Menstrual Hygiene Day 2021: देश में आज भी ग्रामीण महिलाएं पीरियड में इस्तेमाल करती हैं मिटटी, पत्ते और राख

 
Menstrual Hygiene Day 2021: देश में आज भी ग्रामीण महिलाएं पीरियड में इस्तेमाल करती हैं मिटटी, पत्ते और राख

भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है. कहते हैं कि जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं. इसलिए बचपन से ही हमारे बड़े-बुजुर्ग महिलाओँ का सम्मान करना सिखाते हैं.

लेकिन इनसब के अलावा बात करें महिलाओं की तो दुनिया में हर महिला मासिक धर्म चक्र से गुजरती है,  ऐसे में दर्द से लेकर साफ-सफाई तक का ख्याल रखने तक महिलाओं के लिए यह परेशानी का सबब हैं.

हालांकि, बदलते वक्त के साथ अब महिलाओं के मासिक धर्म को लेकर भी लोगों में जागरूकता देखने को मिली हैं. लेकिन शहरों में तो फिर भी जागरुकता आई है, लेकिन कई गांव ऐसे हैं, जहां पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अछूत समझा जाता है. उन्हें घर के किसी कमरे में कैदियों की तरह रहना पड़ा है.

WhatsApp Group Join Now

इतना ही नहीं उनके पास सैनेट्री पैड या कपड़ा नहीं बल्कि मासिक धर्म के दौरान वो घास, पुआल, राख और बालू जैसी चीजों का इस्तेमाल करती है. बता दें कि इन्ही सब से निपटने के लिए ऐसे में मासिक धर्म को लेकर पूरी दुनिया में एक मुहीम चल रही है.

मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए, हर साल 28 मई को वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे 2021 (World Menstrual Hygiene Day 2021) के रूप में मनाया जाता है.

World Menstrual Hygiene Day का इतिहास

मई 2013 में, जर्मन स्थित एनजीओ वॉश यूनाइटेड ने मासिक धर्म के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया पर 28 दिनों का अभियान चलाया. वहीं इस अभियान ने लोगों को आकर्षित किया और उन्होंने मासिक धर्म के लिए एक ग्लोबल अवेयरनेस डे बनाने का फैसला किया. 28 मई 2014 को, पहली बार, लोगों ने दुनिया भर में इस दिन को प्रदर्शनों, रैलियों, वर्कशॉप्स, भाषणों और स्क्रीनिंग का आयोजन करके मनाया.

पीरियड्स में सैनेट्री पैड नहीं घास, रेत का इस्तेमाल....

भले ही हम आधुनिक होने का दावा करते हो, लेकिन जब दबी दुकान में लड़कियां दुकानदारों से सैनेट्री पैड मांगती है तो दुकानवाले उसे काली पॉलिथीन या फिर अखबार में लपेटकर बेचते है. शहरों में तो फिर भी जागरुकता आई है,  लेकिन आज भी गांवों की हालत इस मामले में बद से बदतर है.

देश ही नहीं विदेशों में भी कई गांव ऐसे हैं जहां महिलाएं मासिक धर्म में पैंड्स की जगह राख, मिट्टी, रेत और लकड़ी के बुरादे का इस्तेमाल करती हैं. एक स्टडी के मुताबिक भारत में 70% यौन बीमारियां मासिक धर्म की अस्वच्छता की वजह से होती हैं और इससे महिलाओं की मृत्यु दर भी प्रभावित होती है.

कागज का इस्तेमाल

बीते समय में कई जगहों पर माहवारी को रोकने के लिए लकड़ी के टुकड़ों से लेकर जानवर की खाल तक का इस्तेमाल किया करती थीं. यहां तक कि मिस्र में महिलाएं पीरियड के फ्लो को रोकने के लिए 'पेपरिस' का इस्तेमाल करती थीं. 'पेपरिस' एक मोटा कागज होता था जिसपर उस दौरान लिखने का काम किया जाता था. महिलाएं उसे भिंगो कर नैपकीन की तरह इस्तेमाल करती थी.

राख से रोकती थी मासिक धर्म

भारत के कई गांवों में पीरियड को रोखने के लिए राख का इस्तेमाल किया जाता था. महिलाएं इन रेत या राख को एक बड़े कपड़े में टाइट बांध कर वो इसे पीरियड पैड्स के तौर पर इस्तेमाल करती हैं.

इस गांव में पहली बार पीरियड्स आने पर होता है जश्‍न

बता दें कि महिलाओं को मासिक धर्म होने पर भारत जैसे देश में जहां उनके लिए चिंता और दर्द भरा अनुभव होता है, वहीं भारत में एक ऐसी जगह है जहां पहली बार लड़की को पीरियड आने पर जश्‍न मनाया जाता है. यह पढ़ने में थोड़ा अजीब हैं लेकिन सच है.

यह अनोखी परंपरा असम के बोगांइ गांव जिले के सोलमारी में मनाई जाती है जो कि सालों से चली आ रही है. आज भी इस परंपरा को जारी रखा गया है. सामाजिक झिझक भी एक बड़ी चुनौती है. पीरियड्स के बारे में बात करने में ना केवल गांवों में बल्कि शहरों में भी बहुत सारी महिलाएं झिझकती हैं.

इसी वजह से इस दौरान उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिए, इसके बारे में वो नहीं जानतीं. नतीजा ये होता है कि कई  महिलाएं खुद की सेहत को खतरे में डाल लेती हैं. पीरियड्स के दौरान स्वच्छता बनाए रखने से इस दौरान होने वाले संक्रमण से खुद को बचाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: जानें किस उम्र में सही है मां बनना, ज्यादा उम्र में प्रेग्नेंसी से हो सकते हैं ये बड़े नुकसान

Tags

Share this story