Parenting: आपका बच्चा हो गया है ढ़ीठ? इसके पीछे कारण कहीं आप ही तो नहीं?
बच्चे का गलती करना एक लाज़मी बात है। बच्चा अगर गलती करता है तो माता पिता है यह फर्ज है कि वह उसे सही रास्ता दिखाये, उसे समझ बतलाए, यही एक अच्छी Parenting है। बच्चों को सही और गलत की पहचान करवाना माता पिता का काम है। लेकिन कई बार बच्चे ऐसी गलतियां कर जाते हैं, जिसके लिए माता पिता को उन्हें गलती का अहसास करवाने के लिए सजा देनी पड़ती है।
लेकिन कई बार आपके द्वारा दी गई सजा का तरीका ऐसा हो जाता है, जो कोमल से मन को आघात पहुंचा देता है। हालांकि कभी कभी बच्चे को दंडित करने की आवश्यकता होता है कि बुरे काम के बुरे परिणाम होते है। बच्चे को क्रिएटिव तरीके से सजा दें। जिससे गलती की सजा भी मिले और उन पर उसका नकारात्मक असर ना हो।
सजा के भी दो प्रकार होते हैं- सकारात्मक और नकारात्मक
क्या होती है नकारात्मक सजा
बच्चे आमतौर पर शैतानियां करते हैं। लेकिन अगर वह बार बार गलतियां करता, बात नहीं मानता है और जिद पर उतर जाता है तो यह ठीक नहीं है, तो उसे सुधारने के लिए आप क्या करते हैं? उसे सजा देते है? अगर हां तो बच्चों को सजा देने की यह आदत नकारात्मक पनिशमेंट में आती है। जैसे-
- बच्चों की आपसी खिलौने वाली लड़ाई में उस सजा देने के लिए मारने लगना। आप सख्ती दिखाकर बच्चे को थोड़ी देर चुप करवा सकते हैं लेकिन यह स्थायी समाधान नहीं है।
- बच्चे की छोटी छोटी गलती के लिए उन पर चीखने और चिल्लाते हुए डांटना।
- बच्चों को घर बाहर निकलने के लिए दंडित करना।
क्या होता है बच्चे पर असर
हर माता पिता को यह समझना चाहिए कि उनका असली मकसद क्या है? कुछ माता पिता बच्चे को सिर्फ इसलिए डांटते है कि बच्चे ने उनकी बात क्यों नहीं मानी? इससे बच्चे के व्यवहार में सुधार नहीं होता है बल्कि बिगड़ने लगता है।
- बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।
- बार बार डांटने पर बच्चा ढ़ीठ होकर आपकी बातें अनुसनी करने लग जाता है।
- बच्चे के मन में हीन भावना उत्पन्न होती है।
- कई बार बच्चे बगावती भी हो सकते हैं।
- लगातार नकारात्मक पनिशमेंट से उनके मन में फोबिया भर जाता है।
क्या है अच्छी Parenting
बच्चों की सही परवरिश की बात हो तो ऐसी स्थिति में अपने अंहकार को बीच में ना लाएं। बच्चे को डांटने या सजा देने के पहले उसे यह समझाना बहुत जरूरी है कि आखिर उसकी गलती क्या है उसकी ऐसी हरकतों से दूसरों को क्या नुकसान हो सकता है जब आप उससे संयमित ढंग से पेश आकर बात समाझाएंगे तो वह दोबारा अपनी गलती नहीं दोहराएगा। माता पिता को यह नहीं भूलना चाहिए कि अपने बच्चों में अच्छी आदतें और संस्कार विकसित करते हुए उनका व्यक्तित्व निखारना ही आपका लक्ष्य है।
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