पर्यावरण के लिए वरदान हैं ये पेड़, मिलेगी लाखों-करोड़ों सिलेंडर से भी ज्यादा ऑक्सीजन

 
पर्यावरण के लिए वरदान हैं ये पेड़, मिलेगी लाखों-करोड़ों सिलेंडर से भी ज्यादा ऑक्सीजन

देश भर में कोरोना वायरस ने विकराल रूप ले रखा है. कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने तो पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. ऑक्सीजन की कमी से कई लोगों की जान गई.

ऐसे में कई लोगों का गुस्सा सरकार पर फूटा. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे पेड़-पौधों के बारें में बताने जा रहें हैं जिन्हें अपने आस-पास लगाकर आप ऑक्सीजन की कमी से राहत पा सकते है.  

नीम का पेड़

कहते हैं कि नीम के पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्‍त हुआ था. इसलिए बौद्ध धर्म में इसे बोधी ट्री के नाम से जानते हैं. बता दें कि यह एक नैचुरल एयर प्‍यूरीफायर है. ये पेड़ प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्‍साइड, सल्‍फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके पर्यावरण में ऑक्‍सीजन को छोड़ता है. यह बड़ी मात्रा में ऑक्‍सीजन उत्‍पादित कर सकता है. इससे आसपास की हवा हमेशा शुद्ध रहती है.

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अर्जुन का पेड़

अर्जुन का पेड़ हमेशा हरा-भरा रहता है. इतना ही नहीं इस पेड़ के बहुत से आर्युवेदिक फायदे हैं. हवा से कार्बन डाई ऑक्‍साइड और दूषित गैसों को सोख कर ये उन्‍हें ऑक्‍सीजन में बदल देता है.

अशोक का पेड़

अशोक के पेड़ को लगाने से न केवल वातावरण शुद्ध रहता है बल्कि उसकी शोभा भी बढ़ती है. घर में अशोक का पेड़ हर बीमारी को दूर रखता है ये पेड़ जहरीली गैसों के अलावा हवा के दूसरे दूषित कणों को भी सोख लेता है.

बरगद का पेड़

बरगद के पेड़ को नेशनल ट्री कहा जाता है. यह पेड़ कितनी ऑक्‍सीजन उत्‍पादित करता है या उसकी छाया कितनी है यह सब उसकी लंबाई पर निर्भर करता है.

पीपल का पेड़

हिंदु धर्म में पीपल तो बौद्ध धर्म में इसे बोधी ट्री के नाम से जानते हैं. कहते हैं कि इसी पेड़ के नीचे भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्‍त हुआ था. पीपल का पेड़ 60 से 80 फीट तक लंबा हो सकता है. यह पेड़ सबसे ज्‍यादा ऑक्‍सीजन देता है. इसलिए पर्यावरणविद पीपल का पेड़ लगाने के लिए बार-बार कहते हैं.

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