गंगाजल की पवित्रता के पीछे की कहानी
मां गंगा भी हिंदू धर्म की एक देवी हैं. हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं का अपना एक स्थान है. उसी प्रकार मां गंगा का भी शास्त्रों के अनुसार अपना एक स्थान है, मां गंगे का जल यानी गंगाजल हिंदू धर्म में सबसे पवित्र जल माना जाता है. इसीलिए आज जानते है की गंगाजल को सबसे पवित्र कैसे होता है.
गंगाजल की पवित्रता
मां गंगा का धरती पर अवतरण भागीरथ द्वारा हुआ था. उन्होंने अपने परिवार के 60 भाईयों को मोक्ष की प्राप्ति कराने के लिया मां गंगा का धरती पर आगमन कराया था. मां गंगा ज्येष्ठ मास की दशमी तिथि को धरती पर भगवान शिव की जटा से अवतरित हुई थी. इसीलिए इस तिथि को हम गंगा जयंती और गंगा दशहरा के नाम से भी जानते है. इस दिन मां गंगा की पूजा आराधना की जाती है साथ ही में इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है. हिंदू धर्म में गंगा नदी को बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है. गंगा स्नान के अलावा प्रत्येक शुभ कार्य में भी गंगाजल का प्रयोग किया जाता है. लोग अपने घरों में गंगाजल भरकर रखते हैं. यह बहुत ही पवित्र माना जाता है.
मां गंगा को स्वर्ग की नदी माना गया है. यही कारण है कि गंगाजल को बहुत ही पवित्र माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार मां गंगा एक ऐसी नदी है, जिसमें स्वयं देवी-देवताओं ने स्नान किया है, इसलिए गंगा के जल को बहुत पवित्र माना जाता है.
गंगाजल को पापमोचनी और मोक्षदायनी भी कहा जाता है. ऐसा पौराणिक कथाओं के आधार पर कहा जाता है, दरअसल भागीरथ ने अपने पूर्वजों के मोक्ष के लिए ही मां गंगा को अपनी साधना से प्रसन्न कर धरती पर अवतरित कराया था. गंगाजल के स्पर्श मात्र से ही भगीरथ के समस्त पूर्वजों को मुक्ति प्राप्त हो गई थी. एक मान्यता यह भी है कि किसी मृत व्यक्ति के मुंह में यदि गंगाजल डाल दिया जाए तो उसके पाप मिट जाते हैं और उसको मोक्ष प्राप्त होता है.
पौराणिक कथाओं की एक मान्यता यह भी है कि जब भगवान विष्णु हरिद्वार में आए थे तब उनके चरण गंगा के जल में पड़े थे, तभी से इसे गंगाजल के चरणामृत के समान माना जाता है. और इसीलिए इसे सबसे पवित्र जल माना जाता है.
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