Aarti Kunj Bihari Lyrics: भगवान श्री कृष्ण की इस आरती में छुपा है जीवन का सार, यहां पढ़े....

 
Aarti Kunj Bihari Lyrics: भगवान श्री कृष्ण की इस आरती में छुपा है जीवन का सार, यहां पढ़े....

Aarti Kunj Bihari Lyrics: मोर मुकुट, बंसी वाले, गोपाल, गिरधारी, कृष्ण, कन्हैया अनेकों नामों से लीला रचने वाले बांके बिहारी जी सदा अपने भक्तों पर कृपा की बरसात करते हैं. अर्जुन के रथ के सारथी बनकर उचित मार्गदर्शन करने वाले देवकी के पुत्र कृष्ण जी की हर कोई दीवाना है. अपनी बाल लीलाओं से भक्तों के मन को प्रसन्न करने वाले मनमोहन की हर अदा निराली हैं.

कृष्ण जी की भक्ति में लीन रहने वाले भक्त सदा जय श्री कृष्णा का शुभ जाप करते रहते हैं. इसके साथ ही भजन कीर्तन कर श्री कृष्ण का गुणगान करते हैं. इसके अलावा देवताओं के हर स्वरूप को पूजने के बाद उनकी आरती का गान भी किया जाता है.

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उसी प्रकार भगवान कृष्ण जी की पूजा पाठ करने के बाद भी आरती की जाती है. इस विशेष आरती का नाम है, 'आरती कुंज बिहारी की'. हालांकि इसके अतिरिक्त भी विभिन्न आरतियों को गाया जाता है. लेकिन इस आरती को हर धार्मिक समारोह के बाद अलग अलग धुनों में गाया जाता है.

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यहां पढ़िए:- श्री कृष्ण की मधुर आरती 'आरती कुंज बिहारी की'

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ 

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ 

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ 

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥ 

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥

इस आरती का गान करते समय अपने हाथों में घंटी को बजाते रहें. आरती के समय शंख बजाना भी विशेष लाभकारी माना जाता है. विशेष कथा या कृष्ण जी की पूजा के बाद की गई गोपाल की यह आरती भक्तों के कानों में रस घोल देती हैं. भगवान श्री कृष्ण भक्तों के सच्चे गुणगान से प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं.

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