कलावा बाँधने से मिलती है हर बाधा से मुक्ति, बांधते समय भूलकर भी न करे ये गलती
हिन्दू धर्म में हाथ में कलावा (मौली) पहनने का काफी महत्व है। हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक काम में व मंदिर में जाने पर हाथ की कलाई में मौली बांधने का काफी महत्व है। हर छोटी बड़ी पूजा पाठ में या किसी भी शुभ काम को करने से पहले हाथ में मौली बांधी जाती है, कलावा को कई जगह पर रक्षासूत्र भी कहा जाता हैं।
कलावा बांधने के फायदे
माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है। शास्त्रों के अनुसार हाथ में मौली बांधने से त्रिदेवों और तीनों महादेवियों की कृपा प्राप्त होती है। महालक्ष्मी की कृपा से धन-सम्पत्ति, महासरस्वती की कृपा से विद्या-बुद्धि और महाकाली की कृपा से शक्ति प्राप्त होती है
हाथ में कलावा बंधने व बदलने से पहले कुछ खास नियम होते हैं जिन नियमों को ध्यान में रख कर ही कलावा बांधा व बदला जाता है। कलावा को बदलने से पहले दिन नहीं देखते। हाथ पर बंधा कलावा काफी पुराना हो गया है तो उसे कभी भी बदल कर नया बांध लेते हैं, तो इसे अशुभ माना जाता है।
शास्त्रों में माना जाता है कि कोई भी धार्मिक कर्म कांड क्यों न हैं उसे शुरू करने से पहले कलावा हाथ में बांधा जाता है। मांगलिक कार्यक्रमों में कलावा बांधा जाना शुभ माना जाता है। कलावा हाथ में बाधने से संकटों से बचाव होता है। लेकिन इस कलावा को कभी भी नहीं बदलना चाहिए।
कलावा बदलने के लिए शुभ दिन
शास्त्रों के अनुसार सिर्फ मंगलवार और शनिवार का दिन कलावा बदलने का शुभ दिन माना गया है। इसे बांधने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। शास्त्रों में पुरुष और महिलाओं दोनों को अलग अलग हाथ में कलावा बांधा जाता है। पुरुषों और अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ पर और विवाहित स्त्री के बाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए व कलावा को सिर्फ तीन बार ही लपेटना चाहिए। जानकारी के लिए बता दें कभी भी पुरानी मौली का फेंकना नहीं चाहिए बल्कि इसे किसी पीपल के पेड़ के नीचे डाल देना चाहिए।
कलावा के रंग का महत्व
कलावा तीन धागों से मिलकर बना हुआ होता है। आम तौर पर यह सूत का बना हुआ होता है। इसमे लाल पीले और हरे या सफ़ेद रंग के धागे होते हैं। यह तीन धागे त्रिशक्तियों (ब्रह्मा , विष्णु और महेश) के प्रतीक माने जाते हैं। किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले कलावा बांधा जाता है कलावा दो रंग में होता है जिसका महत्व ज्योतिष में अलग-अलग है ज्योतिष के अनुसार कलाई में लाल रंग का कलावा पहनने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है मंगल ग्रह का संबंध लाल रंग से होता है और पीले रंग का संबंध बृहस्पति से होता है इसके अनुसार पीले रंग का कलावा बांधने से कुंडली में बृहस्पति की स्थिति शुभ और मजबूत होती है|
किस रंग का कलावा कब धारण करना चाहिए
शिक्षा और एकाग्रता के लिए केसरिया रंग का कलावा धारण करें इसे बृहस्पतिवार प्रातः या वसंत पंचमी को बांधें
विवाह सम्बन्धी समस्याओं के लिए पीले और सफेद रंग का कलावा धारण करें इसे शुक्रवार को प्रातः धारण करें इसे दीपावली पर भी धारण करना शुभ माना जाता है।
रोजगार और आर्थिक लाभ के लिए नीले रंग का कलावा बांधना अच्छा होगा इसे शनिवार की शाम को बांधें इसे अगर किसी बुजुर्ग व्यक्ति से बँधवाएं तो अच्छा होगा।
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा के लिए काले रंग के सूती धागे बाँधने चाहिए इसको बाँधने के पूर्व माँ काली को अर्पित करें इसके साथ किसी अन्य रंग के धागे बिलकुल न बांधें।
हर प्रकार से रक्षा के लिए लाल पीले सफ़ेद रंग का मिश्रित कलावा बांधना चाहिए इसको बाँधने के पूर्व भगवान को अर्पित कर दें अगर किसी सात्विक या पवित्र व्यक्ति से बँधवाएं तो काफी उत्तम होगा।
कलावा धारण करने के लाभ
कलावा आम तौर पर कलाई में धारण किया जाता है अतः यह तीनों धातुओं (कफ, वात, पित्त) को संतुलित करती है, इसको कुछ विशेष मन्त्रों के साथ बाँधा जाता है, अतः यह धारण करने वाले की रक्षा भी करता है।
अलग अलग तरह की समस्याओं के निवारण के लिए अलग अलग तरह के कलावे बांधे जाते हैं और हर तरह के कलावे के लिए अलग तरह का मंत्र होता है।
कलावा बांधने का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टि से अगर मौली के फायदों के बारे में देखा जाए तो यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है। मौली बांधना जहां लोगों को उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है। वहीं कलावा बांधने से त्रिदोष-वात, पित्त और कफ का शरीर में सामंजस्य बना रहता है। शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण कलाई में होता है। इसका मतलब है की कलाई में मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है। साथ ही अगर कोई बीमारी है तो वह भी नहीं बढ़ती है।
पुराने जमाने में घर परिवार के लोगों में देखा गया है की हाथ, कमर, गले और पैर के अंगूठे में कलावा या मौली का प्रयोग करते थे। जो कि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी था। कलावा बांधने से नसों की क्रिया नियंत्रित होती है ब्ल्ड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे रोगों से बचाव के लिए भी कलावा या मौली बांधना हितकर बताया गया है।
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