Chaar Dham Yatra 2022: सालों पहले शुरू की गई थी चार धाम की यात्रा, जानिए किसने और क्यों आरंभ की थी ये पवित्र यात्रा?
Chaar Dham Yatra 2022: इस बार भी अक्षय तृतीया वाले दिन चार धाम के कपाट खोल दिए जाएंगे. ऐसे में यदि आप भी उत्तराखंड स्थित चार धामों की यात्रा पा जा रहे हैं, तो आपको भी चार धाम की यात्रा के दौरान जरूरी कागजों और सामान का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए.
जैसा कि आप जानते हैं कि देवभूमि को महादेव का प्रदेश कहा जाता है. ऐसे में उत्तराखंड में ही केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मौजूद है, जिसे ही चार धाम के नाम से जाना जाता है.
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एक व्यक्ति को अपने जीवन में चार धाम की यात्रा पर अवश्य करनी चाहिए. इससे आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है.
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ऐसे में अगर ये प्रश्न आपके भी मन मस्तिष्क में आता है कि चार धाम की यात्रा क्यों शुरू की गई? क्या है इसके पीछे की कहानी. तो हमारे आज के इस लेख में हम आपको यही बताने वाले हैं.
तो इसलिए शुरू की गई थी चार धाम की यात्रा…
धार्मिक स्रोतों के मुताबिक, चार धाम की यात्रा की शुरुआत इसलिए की गई थी. ताकि जब एक व्यक्ति अपने जीवन में सारे दायित्वों का निर्वहन कर लेता है.
तब उसका उद्देश्य तीर्थ के दर्शन करना होना चाहिए. ताकि वहां जाकर वह अपने पापों का प्रायश्चित कर सके और अपनी शेष जिंदगी ईश्वर की सेवा में व्यतीत करे.
हालांकि उत्तराखंड स्थित चार धाम को छोटे चार धाम की संज्ञा दी जाती है, क्योंकि उत्तर भारत के लोगों उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को ही चार धाम माना जाता है.
जबकि असल में रामेश्वरम, बद्रीनाथ, जगन्नाथ, द्वारिका को सम्पूर्ण भारत के प्रमुख चार धाम कहा जाता है. कहते हैं जिस व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में इन धामों की यात्रा कर ली, जोकि भारत की चारों दिशाओं में मौजूद हैं.
उस व्यक्ति को फिर हमेशा के लिए जन्म मरण के बंधन से छुटकारा मिल जाता है. ऐसे में चार धाम की यात्रा की शुरुआत आज से करीब 1200 साल पहले हुई थी.
फिर हमेशा के लिए जन्म मरण के बंधन से छुटकारा मिल जाता है. ऐसे में चार धाम की यात्रा की शुरुआत आज से करीब 1200 साल पहले हुई थी. जिसका आज भी विशेष धार्मिक महत्व है.