Chaitra Navratri 2022: मां चंद्रघंटा के जन्म की ये है कहानी, आज है नवरात्रि व्रत का तीसरा दिन, जानिए महत्व और विधि…

 
Chaitra Navratri 2022: मां चंद्रघंटा के जन्म की ये है कहानी, आज है नवरात्रि व्रत का तीसरा दिन, जानिए महत्व और विधि…

Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित होते हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मां चन्द्रघंटा देवी की उपासना की जाती है.

मां चंद्रघण्टा के जन्म की कहानी

प्राचीन काल की बात है कि जब देवताओं और असुरों में भीषण युद्ध चल रहा था. इस युद्ध में असुरों का स्वामी महिषासुर और देवताओं के स्वामी इंद्र देव थे.

महिषासुर ने इंद्रदेव को युद्ध में परास्त कर उनका सिंहासन छीन लिया था. तब सभी देवी-देवता इंद्र देव के साथ त्रिदेवों (भगवान शिव, ब्रह्माजी व विष्णुजी) के पास पहुंचे.

त्रिदेवों के मुख से क्रोधवश ऊर्जा उत्पन्न हुई और अन्य देवताओं के शरीरों से निकली ऊर्जा भी उसमें जा मिली, इसी ऊर्जा से मां भगवती का अवतरण हुआ.

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मां को शिवजी ने अपना त्रिशूल, विष्णु जी ने चक्र और सभी देवी-देवताओं ने अपने प्रमुख अस्त्र-शस्त्र भेंट किए. जिनसे मां भगवती (चंद्रघण्टा) ने महिषासुर नामक असुर का वध किया.

मां चन्द्रघंटा का स्वरूप

मां चन्द्रघण्टा का बहुत ही अलौकिक स्वरूप है मां के माथे पर घण्टे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है. मां चन्द्रघंटा जी के दस हाथ हैं,

जिनमें से चार हाथों में क्रमशः- कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है और पांचवा हाथ अभय मुद्रा की स्थिति में है,

और अन्य चार हाथो में क्रमशः- त्रिशूल, गदा, कमण्डल और तलवार है. माथे पर चन्द्र होने की वजह से इन्हें चन्द्रघण्टा कहा जाता है.

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Chaitra Navratri 2022

मां चन्द्रघंटा देवी की उपासना करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, तो आइये जानते हैं मां चंद्रघण्टा देवी की पूजा विधि एवं महत्व.

मां चन्द्रघण्टा की पूजा विधि और महत्व

मां दुर्गा जी का तीसरा स्वरूप मां चन्द्रघंटा जी हैं इनकी पूजा नवरात्र के तीसरे दिन की जाती है.

इस दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर दैनिक कार्यों से निर्वृत्त होकर स्नान कर लें.

साफ स्वच्छ वस्त्र पहन कर जो कलश आपने स्थापित किया है उस कलश की विधिवत पूजा करें.

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फिर मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चन्द्रघण्टा की पूजा शुरू करें सबसे पहले जल चढ़ाएं और उसके बाद क्रमशः- फूलमाला, सिन्दूर और अक्षत अर्पित करें.

और इसके बाद मां को दूध या फिर दूध से बनी हुई कोई भी मिठाई अर्पित करें. इसके साथ ही फल चढ़ाएं (यदि संभव हो तो सेब) और उसके बाद जल चढ़ाए.

फिर घी का दीपक और धूपबत्ती जलाकर मां की आरती करें. मां चंद्रघण्टा की विधिवत पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को कई प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष लाभ होते हैं.

नवरात्र के तीसरे दिन का शुभ मुहूर्त

आज तृतीया तिथि दोपहर 1 बजकर 55 मिनट तक रहेगी उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जायेगी.

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