Chaitra Navratri 2023: नवरात्र का सातवां दिन, मां के किस स्वरूप की होती है पूजा?

  
Chaitra Navratri 2023: नवरात्र का सातवां दिन, मां के किस स्वरूप की होती है पूजा?


Chaitra Navratri 2023: हिंदू धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है. वैसे तो नवरात्र साल में चार बार आते हैं. चैत्र, शारदीय नवरात्र के अलावा दो और नवरात्र आते हैं जो की गुप्त नवरात्र कहलाते हैं. चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्र के पावन अवसर पर नौ दिनों तक देवी के अलग अलग स्वरूपों की पूजा कि जाती है. आज नवरात्र के सातवें दिन माँ के किस स्वरूप की पूजा की जाती है, आइये जानते हैं.

नवरात्र का सातवें दिन

नवरात्र का सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है. इस दिन आदिशक्ति देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है.पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी के इस रूप की पूजा करने से दुष्टों का विनाश होता है. मां के इस स्वरूप को वीरता और साहस का प्रतीक माना जाता है.

दुष्टों का नाश करने के लिए आदिशक्ति ने यह रूप धारण किया था. शिवजी की बात मानकर माता पार्वती ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया. जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज को मौत के घाट उतारा, तो उसके शरीर से निकले रक्त से लाखों रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए. इसे देख दुर्गा ने अपने तेज से कालरात्रि को उत्पन्न किया.

इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया और उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया. इस तरह मां दुर्गा ने सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया. भक्तों के लिए मां कालरात्रि सदैव शुभ फल देने वाली हैं.

इस कारण मां का नाम ‘शुभंकारी’ भी है. ऐसी मान्यता है कि मां कालरात्रि की कृपा से भक्त हमेशा भयमुक्त रहता है, उसे अग्नि भय, जल भय, शत्रु भय, रात्रि भय आदि कभी नहीं होता है.

मां कालरात्रि का स्वरूप

कालरात्रि देवी का शरीर रात के अंधकार की तरह काला है. गले में विद्युत की माला और बाल बिखरे हुए हैं. मां के चार हाथ हैं, जिनमें से एक हाथ में गंडासा और एक हाथ में वज्र है. इसके अलावा, मां के दो हाथ क्रमश: वरमुद्रा और अभय मुद्रा में हैं. इनका वाहन गधा है.

ये भी पढ़ें:- नवरात्रि के 9 दिनों तक देवियों को लगाएं नौ अलग-अलग प्रकार का भोग, होगा बेड़ा पार

मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिलती है. मां कालरात्रि की कृपा से बुरी शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है. मां कालरात्रि दुष्टों और शत्रुओं का संहार करने वाली हैं. मां कालरात्रि की पूजा- अर्चना करने से तनाव भी दूर हो जाता है.

माँ कालरात्रि का मंत्र

'ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
'दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते।

माँ कालरात्रि के दिन यानी नवरात्रि के सातवें दिन इस मंत्र का जाप करने से माँ की विशेष कृपा मिलती है. और साधक की हर मनोकामना पूरी होती है. मां कालरात्रि को गुड़ व हलवे का भोग लगाना चाहिए, इससे वे प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती हैं.

Share this story

Around The Web

अभी अभी