Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने एक आम आदमी के जीवन को नया मोड़ देने के लिए कई सारी बातों का वर्णन किया है. चाणक्य द्वारा लिखे गए नीति शास्त्र में व्यक्ति के जीवन को सफलता के उच्च शिखर तक पहुंचाने से जुड़ी हर एक बात का वर्णन किया गया है.
इसी तरीके से चाणक्य ने कुछ एक ऐसी बातों का जिक्र किया है, जिनको अपनाकर कोई भी व्यक्ति रंक से राजा बन सकता है, लेकिन कई बार व्यक्ति के सामने परिस्थितियां इतनी विकट होती हैं, उसे खुद नहीं समझ आता कि क्या सही है क्या गलत?
ऐसे में चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से किसी भी व्यक्ति के जीवन की उन चार परिस्थितियों के बारे में बताया है, जो किसी भी व्यक्ति को अंदर तक तोड़ सकती हैं, इतना ही नहीं ऐसी परिस्थितियां होने पर व्यक्ति को जीवन भर कष्ट ही झेलना पड़ता है. तो चलिए जानते हैं….

चाणक्य ने जीवन की कठिन परिस्थितियों का श्लोक के माध्यम से किया है जिक्र
ऋणकर्ता पिता शत्रुर्माता च व्यभिचारिणी
भार्या रूपवती शत्रु: पुत्र: शत्रुरपण्डित:
इस श्लोक के माध्यम से चाणक्य ने बताया है कि जो व्यक्ति जो पिता अपने जीवन काल में कर्ज लेता है, लेकिन सही समय पर उस कर्ज को चुका नहीं पाता, ऐसा पिता संतान के साथ अपने जीवन को भी कष्ट में डाल देता है.
क्योंकि पिता के जाने के बाद संतान को भी उसके द्वारा लिया हुआ कर्ज चुकाना पड़ता है, जिस कारण संतान का जीवन भी कर्ज निपटाने में ही व्यर्थ चला जाता है.
अगर कोई माता अपने दो बच्चों में भेदभाव रखती है, तो ऐसी मां अपनी संतान के मध्य दरारें पैदा करती है, जिस कारण परिवार को जीवन भर इस बात का दंड भुगतना पड़ता है.

यदि किसी मां बाप की संतान दिमाग से थोड़ी कमजोर है, तो ऐसे माता-पिता का जीवन कष्टों से ही भरा रहता है. कमजोर दिमाग की संतान के चलते माता-पिता को जीवन भर उसके आगे पीछे लगे रहना पड़ता है, और ऐसी संतानों का कोई भविष्य निर्धारित नहीं हो पाता. जो कि मां-बाप के लिए जीवन भर चिंता का कारण बना रहता है.
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अगर आपकी पत्नी आवश्यकता से अधिक सुंदर है और वह आपके अलावा अन्य पुरुषों के साथ अपने प्रेम को साझा करती हैं, तो ऐसे पति का जीवन भी व्यर्थ ही जाता है, और वह जीवन भर अपनी पत्नी की वजह से समाज में अपमानित होता रहता है.