Chanakya Niti: ये तीन परिस्थितियां व्यक्ति के जीवन में नहीं होती है किसी जहर से कम, बचकर रहें...
Chanakya Niti: मनुष्य को जीवन जीने के लिए ज्ञान की बेहद आवश्यकता है. ज्ञान ही व्यक्ति के जीवन की नैया को पार लगा सकता है. निसंदेह ज्ञान हमें मजबूत बनाता है लेकिन आचार्य चाणक्य की नीति के अनुसार आपके लिए ज्ञान घातक भी हो सकता है.
दरअसल आचार्य चाणक्य एक महान विद्वान के रूप में जाने जाते हैं. इनके द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति सदियों से लोगों के जीवन का उद्धार कर रही है. इनकी नीति में सफलता को प्राप्त करने से लेकर सफलता के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने तक हर बात का विशेष प्रारूप पाया जाता है.
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इसी के साथ यूं तो ज्ञान अर्जित करना आवश्यक है लेकिन महत्वपूर्ण है इस ज्ञान का सही उपयोग करना. यही कारण है कि चाणक्य नीति में भी ज्ञान को इंसान के लिए विष के समान बताया गया है. जिसका उल्लेख चाणक्य नीति में एक श्लोक के द्वारा किया गया है.
अनभ्यासे विषं शास्त्रमजीर्णे भोजनं विषम्।
दरिद्रस्य विषं गोष्ठी वृद्धस्य तरुणी विषम्।।
अधूरा ज्ञान बन सकता है प्राणघातक
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो ज्ञान अधूरा होता है वह किसी के लिए भी फायदेमंद साबित नहीं हो सकता है. अगर आप अधूरा ज्ञान लेकर किसी का भी भला करना चाहेंगे तो उसको नुकसान हो सकता है. उसी प्रकार, जिस प्रकार डॉक्टर का अधूरा ज्ञान मरीज के लिए प्राणघातक सिद्ध हो सकता है.
भोजन होता है जहर के समान
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जब आपको अपच की समस्या हो तो आपको भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए. ऐसी स्थिति में आप अपना स्वास्थ्य संकट में डालते हैं. इसलिए बेहद जरूरी है कि आप अपने पेट के अनुसार ही भोजन ग्रहण करें.
गरीबों का अपमान भी है, जहर के समान
आचार्य चाणक्य के अनुसार यदि किसी गरीब व्यक्ति को शादी, समारोह या उत्सव में आमंत्रित किया जाता है तो यह उसके लिए अपमान साबित होता है. क्योंकि एक स्वाभिमानी गरीब अपनी आर्थिक स्थिति का मजाक सहन नहीं कर पाता है और यह परिस्थिति उसके जीवन में जहर घोल देती है.