Chanakya Niti: मनुष्य को किस परिस्थिति में करना चाहिए कैसा व्यवहार, चाणक्य ने बताया है ये राज
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य द्वारा लिखी गई चाणक्य नीति एक ऐसा स्त्रोत है जिसके माध्यम से असफल व्यक्ति भी अपना सफल मार्गदर्शन पा सकता है. यह एक ऐसी नीति है जिसके जरिए आपको अपने हर प्रश्न के उत्तर अवश्य मिल जाएंगे. इस नीति में हर परिस्थिति के अनुसार व्यवहार करना व कार्य करना बताया गया है.
इसी के साथ चाणक्य नीति के माध्यम से हमें यह भी ज्ञान मिलता है कि आपको अपनी मधुर वाणी किसके लिए रखनी चाहिए और किसके लिए नहीं रखनी चाहिए. आइए चाणक्य जी के श्लोकों के जरिए ही जान लेते हैं कि मधुर वाणी व हिंसक वाणी का प्रयोग कब करना चाहिए.
मधुर वचन बोलने में किस बात की गरीबी
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति मानवाः
तस्मात् तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य बताते हैं कि मीठी वाणी बोलना एक दान के समान होती है. मधुर वाणी बोलने से आपका धन खर्च नहीं होता है और नहीं आप गरीब हो सकते हैं. लेकिन यदि आप हर किसी से प्रेम की भाषा बोलेंगे,
तो उसके मन में बेहद प्रसन्नता होगी. जो प्रसन्नता आप उस व्यक्ति को विलासिता पूर्ण जीवन देकर भी पूरा नहीं कर सकते हैं. इसलिए व्यक्ति को कभी भी मीठा बोलने से कतराना नहीं चाहिए.
उपकारी हेतु उपकारी वाणी, हिंसक हेतु हिंसक वाणी
कृते प्रतिकृतिं कुर्यात् हिंसेन प्रतिहिंसनम्
तत्र दोषो न पतति दुष्टे दौष्ट्यं समाचरेत्
आचार्य चाणक्य द्वारा इस श्लोक में बताया गया है कि आप उपकार करने वाले के साथ उपकार की वाणी का प्रयोग करें, हिंसक व्यक्ति के साथ हिंसक वाणी का प्रयोग करें और दुष्ट व्यक्ति के साथ दुष्टता की वाणी का ही प्रयोग करें.
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इस प्रकार चाणक्य ने यह स्पष्ट किया है कि व्यक्ति जिस व्यवहार का हो आपको उसी व्यवहार में उसे जवाब देना चाहिए. सामने वाले व्यक्ति की भाषा के आधार पर आपको उसके साथ व्यवहार या वाणी का प्रयोग करना चाहिए.