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Tuesday, March 21, 2023
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HomeराशिफलChar dham Yatra 2022: बद्रीनाथ की मूर्ति छूने का केवल इन्हें है अधिकार, भूल से भी नहीं कर सकता कोई स्पर्श!

Char dham Yatra 2022: बद्रीनाथ की मूर्ति छूने का केवल इन्हें है अधिकार, भूल से भी नहीं कर सकता कोई स्पर्श!

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Char dham Yatra 2022: बीती 3 मई से चार धाम की यात्रा आरंभ हो गई है. जहां इस बार भी हर बार की तरह भक्तों का तांता लगा हुआ है.

लोग दूर दूर से चार धाम की यात्रा करने के लिए देवभूमि यानी उत्तराखंड पधार रहे हैं. जबकि इसी 8 मई को बद्रीनाथ मंदिर के भी कपाट खोल दिए गए.

बद्रीनाथ मंदिर को लेकर धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान नारायण योग मुद्रा में बैठे हैं. जिनकी पूजा साल में छह महीने मनुष्य और छह महीने नारद जी करते हैं.

ये भी पढ़े:- सालों पहले शुरू की गई थी चार धाम की यात्रा, जानिए किसने और क्यों आरंभ की थी ये पवित्र यात्रा?

इस दौरान जब शीतकाल में बद्रीनाथ के दर्शन के लिए लोग जाते हैं, तो उन्हें केवल पांडुकेश्वर और नृसिंह मंदिर में ही दर्शन की अनुमति होती है, क्योंकि उस दौरान नारायण की पूजा देवताओं के प्रतिनिधि नारद जी करते हैं.

ऐसे में हमारे आज के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि बद्रीनाथ की मूर्ति को छूने का अधिकार किसे प्राप्त है और क्यों कोई साधारण व्यक्ति इसे नहीं छू सकता है?

बद्रीनाथ की मूर्ति से जुड़े रहस्य

चार धामों में से एक बद्रीनाथ की मूर्ति को कोई भी साधारण व्यक्ति नहीं छू सकता. बल्कि बद्री बाबा की इस विशाल मूर्ति को केवल दक्षिण भारत के केरल राज्य के पुजारी ही छू सकते हैं.

जिन्हें रावल की संज्ञा दी गई है. जानकारी के लिए बता दें कि ऐसी मान्यता है कि ये रावल आदि शंकराचार्य के वंशज हैं. जिन्हें ही बद्री बाबा की मूर्ति को छूने का अधिकार है.

और इन रावल पंडितों या ब्राह्मणों की अनुपस्थिति में वहां डिमरी ब्राह्मण पूजा करते हैं. जबकि रावल ब्राह्मणों को यहां भगवान के ही तौर पर पूजा भी जाता है,

जोकि मंदिर के कपाट खुलने के दौरान देवी पार्वती की भांति श्रृंगार आदि करते हैं. जिस कारण इन्हें माता पार्वती का स्वरूप भी मानते हैं, जिन्हें ही बद्री बाबा की मूर्ति को स्पर्श करने का अधिकार है.

Anshika Johari
Anshika Joharihttps://hindi.thevocalnews.com/
अंशिका जौहरी The Vocal News Hindi में बतौर Sub-Editor कार्यरत हैं. उनकी रुचि विशेषकर धर्म आधारित विषयों में है. अपने धार्मिक लेखन की शुरुआत उन्होंने Astrotalk और gurukul99 जैसी बेवसाइट्स के साथ की है. उन्होंने अपनी जर्नलिज्म की पढ़ाई इन्वर्टिस यूनिवर्सिटी, बरेली से की है.
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